Marriage-Dementia Report :आजकल शादियों का टूटना काफी कॉमन सी बात हो गई है. हालांकि एक नए स्टडी में पता चला है कि शादी का टूटना यानी तलाक समाज की नाराजगी से ज्यादा खतरनाक है. इससे हेल्थ को कई गंभीर नुकसान हो सकता है. स्टडी के मुताबिक, तलाक के बाद जब इंसान अकेला होता है, तब उसे डिमेंशिया (dementia) का खतरा ज्यादा रहता है. शादी आपको इस गंभीर बीमारी के खतरे से बचाती है. आइए जानते हैं स्टडी के चौंकाने वाले फैक्ट्स...

स्टडी के चौंकाने वाले फैक्ट्स


नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ (NIPH-FHI) की तरफ से किए गए इस स्टडी में 44 से 68 साल की उम्र के लोगों की वैवाहिक स्थिति का विश्लेषण किया गया. इस स्टडी में पाया गया कि किसी इंसान की वैवाहिक स्थिति 70 साल की उम्र के बाद डिमेंशिया के इलाज को प्रभावित करता है. डिमेंशिया का खतरा तलाकशुदा और सिंगल लोगों में ज्यादा पाया गया.

तनाव खत्म करने में मदद करती है शादी


इस स्टडी टीम के एक मेंबर वेजर्ड स्किरबेक ने बताया कि डिमेंशिया और शादी में संबंध है. शादी लाइफ में होने वाले तनाव को कम करने में मदद करता है. स्किर्बेक ने बताया कि शादीशुदा होने का मतलब है कि हम तनाव का सामना अकेले नहीं करते हैं. हमारे पास कोई ऐसा है, जिससे हम सबकुछ शेयर कर सकते हैं. बुरे दौर में यह आपकी मदद करता है. आपका साथी आपके तनाव को कम कर सकता है. यह एक बफर देता है, जिसके बिना हम अपने दिमाग को कोर्टिसोल नाम के एक भड़काऊ तनाव हार्मोन के लिए खुला छोड़ देते हैं, जो समय के साथ दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है.

दिमागी समस्या को भी खत्म कर सकती है शादी


उन्होंने बताया कि शादी आपको मेंटली प्रॉब्लम्स से भी बचाता है. आपका पार्टनर आपको हेल्दी पैटर्न विकसित करने में हेल्प करता है. स्किर्बेक के मुताबिक, अगर कोई डॉक्टर आपको बताता है कि आपका वजन ज्यादा है तो आप उसे बदल सकते हैं, लेकिन अपना जीवनसाथी बदलना आसान नहीं होता  है.

शादी से मेल पार्टनर को ज्यादा फायदा


SCMP की रिपोर्ट के मुताबिक, शादी में मेल पार्टनर को ज्यादा फायदा पहुंचता है. स्टडी में यह भी बताया गया है कि लंबे समय तक रोमांटिक रहना आपको एक पार्टनर के तौर पर सुरक्षा प्रदान करता है. 2018 का एक मेटा-स्टडी जो 15 अलग-अलग स्टडीज पर बेस्ड था, जिसमें पता चला कि शादीशुदा होने से डिमेंशिया का खतरा कम हो जाता है. वहीं, 2020 में हुए एक और स्टडी में पता चला कि तलाकशुदा, सिंगल लोगों में डिमेंशिया का खतरा ज्यादा रहता है. महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में यह जोखिम ज्यादा पाया गया.

 

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