Stress and Hair Fall: तनाव आज के समय की आम समस्या है. ऐसा शायद ही कोई व्यक्ति मिले जो कह पाए कि उसने  जीवन में किसी भी प्रकार के तनाव का कभी सामना नहीं किया है. कोई परिवार की समस्याओं के चलते तनाव से घिर जाता है तो कोई करियर की समस्याओं के कारण. तनाव का सबसे पहला असर हमारे चेहरे की भावभंगिमाओं यानी हमारे चेहरे से रिफ्लैक्ट होने वाले हमारे इमोशन्स पर पड़ता है. इसके बाद नंबर आता है हमारी स्किन और हमारे बालों का. शरीर के अन्य अंगों तनाव का असर इन सब अंगों के बाद दिखना शुरू होता है. तो आइए, जानते हैं कि तनाव बालों पर किस तरह से असर डालता है. क्या तनाव से बाल सिर्फ सफेद होते हैं या इनका झड़ना भी बढ़ जाता है...


क्या वाकई तनाव से बाल झड़ते हैं?
तनाव और बालों की सेहत का आपस में गहरा संबंध है. यही कारण है कि जब तनाव का स्तर बढ़ जाता है और इसका असर बालों तक पहुंचने लगता है तो बालों के झड़ने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. तनाव के कारण बालों के झड़ने की स्पीड हर व्यक्ति में अलग हो सकती है. इसका कारण तनाव का स्तर तो है ही साथ ही यह भी है कि बालों पर तनाव किस प्रकार से असर डाल रहा है.


कितनी तरह से बालों की सेहत को प्रभावित करता है तनाव?


मेडिकली देखें तो हेयर फॉल के मामले में तनाव बालों को तीन प्रकार से प्रभावित करता है. ये प्रकार हैं, टेलोजेन एफ्लुवियम (Telogen effluvium), ट्राइकोटिलोमेनिया (Trichotillomania) और एलोपेसिया अरेटा (Alopecia areata)ये तीनों ही हेयर फॉल के कारण लेकिन इन स्थितियों में बालों पर होने वाला असर एक-दूसरे से एकदम अलग होता है.


बालों पर तनाव कैसे असर डालता है?



  • टेलोजेन एफ्लुवियम (Telogen effluvium): इस स्थिति में बालों के रोम छिद्र बहुत अधिक ऐक्टिव हो जाते हैं और इस कारण सिर से पैच के रूप में बाल झड़ने लगते हैं. आमतौर पर यह पैच सिर के बीचों-बीच होता है, जिसे आम भाषा में खोपड़ी के बाल गिरना कहते हैं. तनाव दूर होने के बाद 10 महीने के अंदर बाल दोबारा उग जाते हैं.

  • ट्राइकोटिलोमेनिया (Trichotillomania): इस समस्या को हेयर पुलिंग डिसऑर्डर के नाम से भी जाना जाता है. ट्राइकोटिलोमेनिया की स्थिति में जब तनाव बहुत अधिक होता है तो बाल खींचने का मन करता है क्योंकि बाल खींचने से कुछ पल के लिए ही सही आराम मिलता है. जो लोग लगातार अपने बाल खींचते रहते हैं, उनके बालों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं और बाल झड़ने लगते हैं. 

  • एलोपेसिया अरेटा (Alopecia areata): यह समस्या कई कारणों से होती है और तनाव भी इनमें शामिल है. इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता कि सिर्फ तनाव के कारण ही एलोपेसिया अरेटा होता है और बाल झड़ते हैं. इस समस्या को बालों से संबंधित ऑटोइम्यून डिसऑर्डर भी कहा जाता है क्योंकि इसमें अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता ही बालों के रोम छिद्रों पर अटैक करती है और इससे बाल गिरने लगते हैं.


बाल झड़ना कैसे रोकें?
बाल झड़ने की समस्या का इलाज इसके कारणों पर निर्भर करता है. आप ऐसी समस्या होने पर डॉक्टर से मिलें. बेहतर रहेगा कि किसी डर्मेटॉलजिस्ट को दिखाएं. दवाओं, सही डायट, कुछ रिलैक्सेशन टैक्नीक्स के माध्यम से आपकी समस्या को दूर किया जा सकता है.


 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 


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