सर्दियों में जुकाम की समस्या होने पर कान में भी असुविधा होना आम बात है. बड़ों की तरह ही बच्चों के लिए भी कान दर्द सहना कष्टकारी होता है. ये दर्द कान का संक्रमण भी हो सकता है. इसलिए पैरेंट्स को इसका असल कारण जरूर जानना चाहिए. हालांकि ज्यादातर माता-पिता का एक ही सवाल होता है कि जुकाम और कान के इंफेक्शन में क्या लिंक है. बता दें कि कान का संक्रमण भी अक्सर जुकाम या फ्लू होने पर शुरू हो जाता है क्योंकि मिडिल कान ऊपरी श्वसन तंत्र से जुड़ा होता है जो छोटे चैनल द्वारा यूस्टेशियन ट्यूब के रूप में जाना जाता है. नाक या साइनस कैविटिज में बढ़ने वाले सूक्ष्मजीवों में यूस्टेशियन ट्यूब में चढ़ने और मीडिल ईयर में प्रवेश करने की क्षमता होती है. लेकिन पहले पैरेंट्स को यह क्लियर करने में सक्षम होना चाहिए कि क्या यह ठंड के लक्षण हैं जो कान में दर्द पैदा कर सकते हैं या इंफेक्शन की वजह से कान में दर्द है.


पहले बच्चे के ठंड के लक्षणों का करें इलाज


ठंड लगना, छींक आना, नाक बहना, गले में खराश, और खांसी जैसे साधारण लक्षण जुखाम के दौरान होना आम बात है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे ईयरड्रम वायरल इंफेक्शन की वजह से सूज जाते हैं. जैसे ही बच्चे के ठंड के लक्षणों का इलाज किया जाता है वैसे ही कान में होने वाला धीमा, तेज या जलन वाले दर्द में भी राहत मिलती है. चूंकि जुकाम रोगाणु के कारण होता है, इसलिए माता-पिता को संक्रमण कम करने के लिए पहले ठंड के लक्षणों का इलाज करना चाहिए. हालांकि, कुछ मामलों में विशेष रूप से 8 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए, एक दूसरा संक्रमण कान के अंदर होता है जब मवाद और तरल पदार्थ पैदा करने वाले कीटाणु कान के पीछे की जगह में भरने लगते हैं.


 इन लक्षणों से  जानें कि बच्चे को सर्दी की वजह से कान का दर्द नहीं है बल्कि कान में इंफेक्शन है.


1-बच्चे की सुनने की क्षमता सुस्त लगती है.


2-आपके बच्चे को तेज दर्द के कारण बुखार या सिरदर्द हो सकता है और कभी-कभी चक्कर आ सकता है. बच्चे को नींद में कठिनाई का अनुभव होगा.


3-भूख की कमी, उल्टी और क्रैंकनेस.


4-कान का संक्रमण होने पर दर्द सर्दी के कारण होने वाले कान दर्द की तुलना में ज्यादा तेज होता है.


5-अगर बच्चे को उल्टी या भूख कम लगने के साथ-साथ कान में दर्द हो तो मेडिकल हेल्प जरूर लेनी चाहिए.


बच्चों में ज्यादा होता है कान का इंफेक्शन


गौरतलब है कि बच्चों को कान में इंफेक्शन होने की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि वयस्कों की तुलना में उनका यूस्टेशियन मार्ग छोटा और संकुचित होता है. इससे न केवल सूक्ष्मजीवों को मध्य कान तक पहुंचने में आसानी होती है, बल्कि इसका मतलब यह भी है कि फ्लूड काफी आसानी से फंस जाता है.  चूंकि बच्चे का इम्यून सिस्टम अभी भी विकसित हो रहा है, इसलिए इंफेक्शन का मुकाबला करना उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है. शिशुओं में कान के संक्रमण के सबसे सामान्य प्रकार हैं एक्यूट ओटिटिस एक्सटर्ना (एओई), ओटिटिस मीडिया, ओटिटिस मीडिया विद इफ्यूजन (ओएमई) और एक्यूट ओटिटिस मीडिया (एओएम).


बदलते मौसम की वजह से बच्चों को ठंड लग जाती है. ऐसे में माता-पिता को बच्चे के सामान्य सर्दी के लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए और एहतियाती उपाय करने चाहिए क्योंकि ये कोविड -19 के संकेतों के बहुत समान हैं. हालांकि समय पर टीकाकरण कार्यक्रम का पालन करने और संक्रमित लोगों के संपर्क में  आने से बचने के साथ ही हाइजिन रखना, बच्चों की सुरक्षा में मदद कर सकता है.


ये भी पढ़ें


Health Tips: जानिए कब न करें हल्दी का उपयोग, लापरवाही पड़ सकती है महंगी


प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए काम की खबर, इन फूड्स और ड्रिंक्स के सेवन से बचना है जरूरी