Blood loss: ब्लड बॉडी में ऑक्सीजन सप्लाई का बड़ा मीडियम है. अगर ब्लड की सप्लाई बंद हो जाए तो दिल की धड़कन थम जाती हैं. ब्लड कैंसर में ब्लड की कमी होना आमतौर पर देखने को मिलता है. जॉन्डिस में भी ब्लड की कमी होने लगती है. लेकिन आज आपको ऐसी ही बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसमें बॉडी में कभी ब्लड की भरपाई नहीं होती. यह बीमारी अगर घातक हो जाए तो जानलेवा तक साबित हो सकती है.


क्या है Hemolytic Anemia?
बॉडी में बोन मैरो होती है. इसी बोन मैरो में रेड ब्लड सेल्स का निर्माण होता है. यह बनती रहती हैं और एक समय पर खत्म होती रहती हैं. बोन मैरो रेड ब्लड सेल्स को कंट्रोल करने का काम करता है. हिमॉलिटिक एनीमिया में रेड ब्लड सेल्स तेजी से खत्म होने लगती है, लेकिन उतनी तेजी से बन नहीं पाती. इसी कारण हीमोग्लोबिन लेवल बॉडी में तेजी से घटने लगता है. ब्लड लेवल मेंटेन करने के लिए कई बार पेशेंट को ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ जाती है.


क्यों होती है यह बीमारी
यह बीमारी ऑटोइम्यून डिजीज, बोन मैरो फैलियर, ब्लड ट्रांसफ्यूजन कॉम्प्लिकेशंस, थैलेसीमिया,  स्किल सेल डिसीज और अन्य इंफेक्शन होने पर इस बीमारी के होने की संभावना रहती है.


कैसे होती है पहचान
अन्य बीमारियों की तरह इसकी जांच करने के लिए भी टेस्ट मौजूद है. डॉक्टर फिजिकल एग्जामिनेशन और ब्लड टेस्ट करवा सकते हैं. इसके अलावा बोन मैरो टेस्ट और जेनेटिक टेस्ट भी जांच के लिए किया जा सकता है.


कैसे होता है ट्रीटमेंट
डॉक्टर देखते हैं कि व्यक्ति में ब्लड किस लेवल का कम हो रहा है. यदि हीमोग्लोबिन एक या दो पॉइंट ही नीचे हुआ है तो डॉक्टर दवाई से ही ब्लड बढ़ाकर बनाने की कोशिश करते हैं. यदि हिमोग्लोबिन अधिक नीचे चला गया है और दवा खाने से भी बढ़ नहीं रहा है. तब डॉक्टर लीवर से स्प्लीन निकलवाने, ब्लड ट्रांसफ्यूजन और बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दे सकते हैं.


ट्रीटमेंट न मिले तो?
ब्लड के काम बॉडी के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन सप्लाई करना होता है. ऑक्सीजन बॉडी के हर पार्ट को चलाने का काम करती है. मसलन ब्रेन को ऑक्सीजन ना मिले तो वह काम करना बंद कर सकता है. इसी तरह हार्ट को ऑक्सीजन ना मिले तो वह धड़कना बंद कर देता है. यदि हीमोग्लोबिन लो लेवल पर है ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो रही है  तो बॉडी पर सूजन आ सकती है. थकान और अन्य समस्याएं हो सकती हैं. इससे हार्ट अटैक तक आ सकता है.


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