कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने भारत में जमकर कहर बरपाया है. हजारों लोग कोविड के नए स्ट्रेन की चपेट में आ चुके हैं. ऐसे में बहुत सारे लोगों ने महीनों अस्पताल में वेंटिलेटर पर रहकर गुजारे हैं. ऐसे में कोरोना से रिकवर होने के बाद कुछ लोगों में न्यूरोलॉजिकल (Neuro) और साइकोलॉजिकल (Psychological) बीमारियां भी हो रही हैं. ऐसा उन लोगों में ज्यादा हो रहा है जो आईसीयू या वेंटिलेटर पर रहे हैं. ऐसे लोग जो पहले से किसी न्यूरो प्रोबलम से जूझ रहे हैं, हार्ट या शुगर जैसी गंभीर समस्याएं हैं उन्हें इस तरह की समस्या ज्यादा हो रही हैं.


वहीं कुछ लोगों को साइकोलॉजिकल समस्या जैसे एंग्जायटी (Anxiety) और मूड स्विंग (Mood Swings) भी हो रही है. ऐसे में अगर आपको नसों में सुन्नपन्न और भूलने की बीमारी जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो समझ जाएं कि वायरस ने आपके ब्रेन और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित किया है. कोरोना वायरस ने कई लोगों के दिमाग और नर्वस सिस्टम को प्रभावित किया है. जिसके बाद आपको इस तरह की बीमारियां हो सकती है.  


कोरोना के बाद न्यूरो और साइकोलॉजिकल बीमारी
1- मस्तिष्क विकृति (Encephalopathy)- कोरोना से रिकवर होने के बाद कई लोगों में मस्तिष्क विकृति की समस्या हो रही है. इसमें मनोविकृति (Psychosis) और याद्दाश्त (Memory) कमजोर हो जाती है. ऐसी स्थिति उन लोगों की हो रही है जो वेंटिलेटर पर रहे हैं. 


2- गुलियन बेरी सिंड्रोम (Guillain Barre Syndrome)- इसमें शरीर में कमजोरी, सुन्नता, झुनझुनी और पेरालाइसिस का खतरा बढ़ जाता है. इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune) नसों पर हमला करती है. जिससे इस तरह की परेशानी होने लगती है. 


3- इन्सेफेलाइटिस (Encephalitis)- इस बीमारी में दिमाग में सूजन आ जाती है. कोरोना से ठीक होने के बाद कुछ लोगों में इन्सेफेलाइटिस की समस्या भी काफी देखी गई है. जो गंभीर रुप से इस वायरस से प्रभावित हुए हैं उनमें ऐसी समस्या ज्यादा है.


4- एंग्जायटी (Anxiety)- कोरोना से रिकवर होने के बाद बहुत सारे लोगों में साइकोलॉजिकल समस्याएं भी सामने आ रही हैं. इसमें मूड स्विंग, एंग्जायटी, नींद नहीं आना, डर जैसी समस्या सबसे ज्यादा हो रही है. कोरोना ने लोगों के दिमाग पर गंभीर असर डाला है.


5- खून के थक्के (Blood Clots)- पोस्ट कोविड लक्षणों में ये भी एक गंभीर समस्या है. इसमें दिमाग में  ब्लड क्लॉटिंग हो जाती है. जिससे स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है. कई कोरोना के मरीजों में ये समस्या सामने आ चुकी है.


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