कोरोना वायरस टेस्ट की नई तकनीक फेलुदा टेस्ट (Feluda test) के इसी महीने में ही कमर्शियली उपलब्ध होगा. यह तकनीक सीएसआईआर ने टाटा संस के सहयोग से डेवलप की है. एक रिपोर्ट के अनुसार सीएसआईआर के महानिदेशक शेखर मांडे ने कहा है कि “ ये इस महीने में कभी भी उपलब्ध हो सकता है. सभी औपचारिकताएं पूरी हो गई हैं”


अभी तक के टेस्ट में नाक स्वाब लेकर लैब में भेजा जाता था और स्टैंडर्ड आरटी-पीसीआर से जांच की जाती थी. अब इसके लिये महंगी आरटी-पीसीआर मशीन की आवश्यकता नहीं होगी.


छोटी और सस्ती मशीन से टेस्ट
इसमें थर्मोसायकलर नामक एक छोटी, सस्ती और अधिक पोर्टेबल मशीन का उपयोग किया जाता है. इसकी कीमत लगभग 25,000 रुपये है और इससे 45 मिनट से एक घंटे के समय में रिजल्ट मिल जाते हैं. फेलुदा, FNCAS9 एडिटर-लिमिटेड यूनिफॉर्म डिटेक्शन असाय सिस्टम पर काम करता है, इसलिए वायरस का पता लगाने में अधिक सटीक है.


आरटी-पीसीआर टेस्ट की तुलना में यह सस्ता भी है. आरटी-पीसीआर के लिए 1,200 से 1,600 रुपये खर्च होते हैं, वहीं इस टेस्ट पर 500 रुपये का खर्च आने का अनुमान है. हालांकि टेस्ट की सही राशि का पता लैब्स में कमर्शियल इस्तेमाल शुरू होने के बाद ही चल सकेगा.


टेस्ट के जल्दी नतीजे मिलना इस बात पर भी निर्भर करेंगे कि लैब कितनी जल्दी टेस्ट करने, वायरल आरएनए को अलग में सक्षम हैं. ट्रेंड हेल्थवर्कर होने से लैब में कम समय में रिजल्ट आ सकते हैं लेकिन सीमित सुविधाओं वाले स्थानों में जटिल प्रक्रिया से देरी हो सकती है.


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