कोरोना वायरस फ्लू से ज्यादा खतरनाक है मगर इस पर काबू पाया जा सकता है. ये वायरस 'सार्स' (SARS) और 'मर्स' (MERS) नहीं है और ना ही ये इंफ्लुएंजा है. कोरोना वायरस कुछ मामलों से हटकर अलग है. कोविड-19 के सामने आ चुके मामलों में मौत की दर 3.4 देखी गई है. जबकि इसकी तुलना में फ्लू से पीड़ित मरीजों की मृत्यु दर 1 फीसद से भी कम रहती है. ये दावा किया है विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम ने.


विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने चेताया


स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "कोविड-19 और इंफ्लुएंजा श्वसन संबधी बीमारी का कारण बनते हैं. ठीक उसी तरह इनका फैलाव भी होता है. लेकिन कोविड-19 का संचार फ्लू के मुकाबले कम तेजी से होता है." उन्होंने कहा कि कोविड-19 आम इंफ्लुएंजा के मुकाबले ज्यादा खतरनाक होता है. उन्होंने कहा कि अभी कोई वैक्सीन ईजाद नहीं की गई है लेकिन फिर भी इससे होनेवाली बीमारी को ठीक किया जा सकता है.


40 फीसद तक सुरक्षा उपकरणों को बढ़ाने की मांग


उन्होंने चेतावनी दी कि सुरक्षा उपकरणों की कमी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए खतरा साबित हो सकती है. ग्लव, मास्क, गूगल, चेहरे का शील्ड, गाउन की सीमित उपलब्धता डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड-19 के मरीजों की देखभाल करने में डर पैदा कर रही है. इसलिए सरकारों और उद्योग जगत से बीमारी से लड़ने में स्वास्थ्य उपकरणों को 40 फीसद तक बढ़ाने की मांग की. स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि कोरोना वायरस उजागर होने के बाद से ही सुरक्षा उपकरणों के दाम में बढ़ोतरी हुई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मास्क की कीमत में छह गुणा तक का ईजाफा देखा गया है.


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