Chikungunya Fever Treatment: चिकनगुनिया एक वायरल डिजीज है, जो मच्छरों के काटने से फैलती है. आमतौर पर यह बीमारी मॉनसून में फैलती है लेकिन आज के समय में मच्छरों का प्रकोप अक्सर बना रहता है. इसलिए अन्य सीजन में भी इसके केस आते रहते हैं. डेंगू और मलेरिया की तरह चिकनगुनिया भी एक बुखार है और यदि समय पर सही उपचार ना मिले तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है. किन मच्छरों के काटने से चिकनगुनिया फैलता है और इसका असर कितने दिन तक रहता है, इससे बचाव के उपाय क्या हैं (chikungunya Prevention Tips) और उपचार की विधि क्या है, इत्यादि सवालों से संबंधित जानकारी आपको यहां दी जा रही है...


कितने दिन रहता है चिकनगुनिया का बुखार?
चिकनगुनिया आमतौर पर 2 से 3 दिन रहता है. इसके बाद बुखार कम हो जाता है या पूरी तरह ठीक हो जाता है. लेकिन संक्रमित हुए व्यक्ति के शरीर में इसका वायरस करीब 7 दिन तक रहता है. यानी बीमारी ठीक होने के बाद भी वायरस ऐक्टिव रहता है. ऐसे में यदि इस व्यक्ति को मच्छर काट लें तो वे भी इस वायरस से संक्रमित हो जाते हैं और फिर अन्य लोगों को काटकर उन्हें संक्रमित कर सकते हैं.


किस मच्छर के काटने से होता है चिकनगुनिया?


एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस (Aedes aegypti and Aedes Albopictus) इन दो मच्छरों के कारण चिकनगुनिया फैलता है. हालांकि इन मच्छरों से येलो फीवर भी फैलता है. इसलिए इन्हें येलो फीवर मॉस्किटो भी कहा जाता है. चिकनगुनिया के लक्षण डेंगू से बहुत अधिक मिलते हैं. इसलिए जिन एरिया में डेंगू और चिकनगुनिया दोनों ही बुखार फैलते हैं वहां कई बार यह स्थिति हो जाती है कि बीमारी मिस डायग्नॉज हो जाती है. इसलिए इसके लक्षणों के बारे में स्पष्टता होना बहुत जरूरी है.


चिकनगुनिया के लक्षण



  • तेज बुखार

  • जोड़ों में दर्द

  • त्वचा पर रैशेज

  • बहुत अधिक थकान

  • मितली आना

  • हाथ, पैर और उंगलियों के जॉइंट्स में सूजन

  • पेट और पाचन से जुड़ी समस्याएं

  • कुछ लोगों में आंखों और हार्ट से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं.


चिकनगुनिया का इलाज



  • चिकनगुनिया के वायरस से संक्रमित मच्छकर के काटने के 2 से 7 दिन के अंदर यह वायरस शरीर पर हावी हो जाता है और फीवर के साथ ही जॉइंट्स पेन का कारण बनता है. इस फीवर की बात करें तो इसे रोकने के लिए कोई भी ऐंटिवायल दवाई नहीं है और 2 से 3 दिन की अंदर यह बुखार खुद ही ठीक हो जाता है. शरीर को आराम देने के लिए डॉक्टर्स कुछ ऐसी दवाएं देते हैं, जिनसे रोगी की पीड़ा कम हो सके. जैसे, नेप्रोक्सिन और पैरासिटामोल.

  • जॉइंट्स में होने वाला पेन हमारे लिए तकलीफ देने वाला जरूर होता है लेकिन ये घातक नहीं होता है. बल्कि यह हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता द्वारा वायरस पर किए जाने वाले अटैक के कारण होता है. फीवर ठीक होने के बाद और वायरस के शरीर में रहने का समय पूरा होने के बाद भी कई बार इस दर्द को ठीक होने में लंबा समय लग जाता है. कुछ केसेज में महीनों तक यह दर्द बना रह सकता है. इसलिए डॉक्टर की सुझाई दवाओं का सेवन करें और परेशान ना हों.

  • जोड़ों में सूजन की समस्या भी इस बुखार के दौरान हो जाती है. ऐसा ऐटिंबॉडीज के ऐक्टिव होने से होता है. क्योंकि ये जोड़ों में मौजूद कार्टिलेज को प्रभावित करती हैं और सूजन आ जाती है.

  • इसी तरह रैशेज, थकान, पेट संबंधी समस्याएं इत्यादि दवाओं और सही डायट के सेवन से दूर हो जाती हैं. आप परेशान होने या घबराने की जगह डॉक्टर के मार्गदर्शन में अपना इलाज कराएं, जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 


 


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