न्यूयॉर्कः कैंसर के इलाज के बाद मां न बन पाने वाली महिलाओं के लिए आई अच्छी खबर आई है. कैंसर के इलाज के बाद महिलाओं में आमतौर पर मां न बन पाने जैसे साइड इफेक्ट देखे जाते हैं. अब इसके इलाज के लिए वैज्ञानिकों ने एक दवा की खोज कर ली है.


क्या कहती है रिसर्च-  
जिन महिलाओं में कैंसर का इलाज रेडिएशन और कुछ तरह की कीमोथेरेपी दवाओं के जरिए किया जाता है वह दवाएं आमतौर पर उनमें गर्भधारण करने में समस्या पैदा करती हैं.


क्या कहते हैं पहले के शोध-
पूर्व में हुए शोध के मुताबिक, स्तन कैंसर से उबर चुकी सभी महिलाओं में से लगभग 40 फीसदी महिलाओं में समय से पहले अंडाशय को खराब होते हुए देखा गया. इसमें गर्भाशय की सामान्य क्रियाएं बंद हो जाती हैं और अक्सर मां न बन पाने की स्थिति सामने आती है.


महिलाओं के पास जन्म से ही अंडाणुओं या अविकसित अंडाणुओं का संचय होता है जो जीवनभर चलता है. लेकिन यह अंडाणु शरीर की सबसे संवेदनशील कोशिकाओं में से एक होते हैं जो इस तरह के कैंसर उपचार से खत्म हो सकते हैं.


क्यों की गई ये रिसर्च-
यह शोध जेनेटिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. इसका आधार पूर्व में किया गया एक शोध है जिसमें एक चेकप्वाइंट प्रोटीन (सीएचके2) का पता लगाया गया था जो रेडिएशन से अंडाणुओं के क्षतिग्रस्त होने पर सक्रिय हो जाते हैं.


कैसे काम करता है ये-
सीएचके 2 उस मार्ग को नुकसान पहुंचाता है जो क्षतिग्रस्त डीएनए वाले अंडाणुओं को हटा देता है. यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो विकृत संतान को जन्म देने से बचाती है.


डॉक्टर्स द्वारा अंडाणुओं को नुकसान पहुंचाने वाले इस तरह के कैंसर के इलाज को जरूरी समझा जाने पर महिलाएं अपने अंडाणुओं या गर्भाशय की कोशिकाओं को हटवा या फ्रीज करवा कर रख सकती हैं. लेकिन इससे इलाज में देरी हो सकती है.


इसके अलावा अंडाणुओं की कमी के कारण महिलाएं प्राकृतिक तौर पर मीनोपोज़ की तरफ बढ़ जाती है.


इस रिसर्च के जरिए वैज्ञानिकों ने सीएचके2 निरोधी या संबंधित दवाएं देना और कैंसर थेरेपी को साथ-साथ शुरू करने का एक नजरिए उपलब्ध कराया है. हालांकि इसे पहले मानव शरीर पर प्रयोग करने की जरूरत होगी.


नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें