औद्योगीकरण के कारण हवा दिन पर दिन दुषित होती जा रही है. धीरे-धीरे हवा गैसों का एक चेंबर सा बनता जा रहा है. यही कारण है कि लोगों को नाक-कान और गले की बीमारियां अपना शिकार बना रही है. प्रदूषण के कारण लोगों को साइनस, सिर दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसी बीमारी हो रही है. आजकल अधिकतर लोगों को एलर्जी, खांसी , सिर दर्द और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत हो रही है. 


गर्मी और प्रदूषण से लोगों को हो रही है ये बीमारी


मौसम तेजी से करवट बदल रहा है. दिन में भीषण गर्मी तो वहीं रात के वक्त ठंडी हवा. इस मौसम में लोग अक्सर बीमार पड़ जाते हैं. वहीं प्रदूषण से लोगों का हाल एकदम बेहाल है. खासकर ऐसे लोग भी हैं जिन्हें हर रोज अपने काम के लिए बाहर निकलना ही पड़ता है. 


क्या वायु प्रदूषण सांस लेने में दिक्कत और सिरदर्द का कारण बन सकती है?


वायु प्रदूषण और सांस लेने में दिक्कत दोनों के बीच क्या लिंक है इस पर काफी रिसर्च किए गए हैं. रिसर्च में काफी कुछ सामने आया है. आज हम इसके पीछे का कारण बताएंगे. 


पार्टिकुलेट मैटर


हवा में निलंबित ठोस या तरल पदार्थों के छोटे कण, जिनमें धूल, गंदगी, कालिख और धुआं शामिल हैं, जो सांस के साथ लेने पर हानिकारक हो सकते हैं.


नाइट्रोजन डाइऑक्साइड


यह एक लाल-भूरे रंग की गैस है जो विशेष रूप से वाहनों और बिजली संयंत्रों में ईंधन जलाने से उत्पन्न होती है, जो फेफड़ों में जलन पैदा कर सकती है और श्वसन संक्रमण के प्रतिरोध को कम कर सकती है.


सल्फर डाइऑक्साइड


सल्फर डाइऑक्साइड एक विशिष्ट गंध वाली रंगहीन गैस है, जिसकी तुलना अक्सर सड़े हुए अंडों की गंध से की जाती है, इसका उत्पादन तब होता है जब सल्फर युक्त जीवाश्म ईंधन को जलाया जाता है, सल्फर डाइऑक्साइड के सांस लेने से श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, और यह अम्लीय वर्षा के निर्माण में भी योगदान देता है.


ओजोन


यह तीन ऑक्सीजन परमाणुओं से बनी गैस है. ऊपरी वायुमंडल में, यह हमें हानिकारक पराबैंगनी (यूवी) किरणों से बचाता है. हालांकि, जमीनी स्तर पर, ओजोन तब बनता है जब प्रदूषक सूर्य के प्रकाश के साथ प्रतिक्रिया करते हैं. जिससे धुंध के निर्माण में योगदान होता है जो हमारे श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है.


कार्बन मोनोऑक्साइड


इस गैस का कोई रंग या गंध नहीं होता है. यह तब बनता है जब लकड़ी, गैस या तेल जैसे ईंधन पूरी तरह से नहीं जलते हैं. बहुत अधिक कार्बन मोनोऑक्साइड में सांस लेना घातक हो सकता है क्योंकि यह आपके रक्त को ऑक्सीजन ले जाने से रोकता है.


पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच): पीएएच रसायनों का एक समूह है जो प्राकृतिक रूप से कोयले, कच्चे तेल और गैसोलीन के साथ-साथ जीवाश्म ईंधन और अन्य कार्बनिक पदार्थों को जलाने से निकलने वाले धुएं में होता है. कुछ पीएएच को कैंसर का कारण माना जाता है.


वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी): कार्बनिक रसायन जो हवा में आसानी से वाष्पित हो जाते हैं, आमतौर पर पेंट, सॉल्वैंट्स, सफाई उत्पादों और ईंधन में पाए जाते है.। वीओसी के उच्च स्तर के संपर्क में आने से आंख, नाक और गले में जलन, साथ ही सिरदर्द और मतली हो सकती है.


वायु प्रदूषण से आपको भी हो रही है सांस की दिक्कत तो घर में करें यह उपाय


अदरक, लहसुन और प्याज का ऐसे करें इस्तेमाल


अदरक के अंदर जिन्जिरोल नाम का एक एक्टिव कंपाउंड होता है. जो पाचन और सांस संबंधित बीमारी को ठीक करने का काम करती है. अदरक में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट, विटामिन और मिनरल पाए जाते हैं. यह शरीर की इम्युनिटी को मजबूत करने का काम करती है. अदरक कफ और सांस की बीमारी में काफी ज्यादा सहायक होती है. 


साइनस से पीड़ित लोगों को प्याज और लहसुन खाना चाहिए ताकि यह बलगम को आराम से निकाल दे. प्याज में मौजूद सल्फर सर्दी-खांसी को एकदम से ठीक कर देती है. इसमें एंटी बैक्टीरियल होते हैं. 


साइनस से बचने के लिए शहद और हल्दी का दूध पीएं


साइनस की बीमारी है और आपको रोजाना पॉल्यूशन में बाहर निकलना पड़ता है तो आप हल्दी और दूध पिएं. इससे आपका गला साफ रहेगा, सिरदर्द और सांस की तकलीफ भी नहीं होगी. दो हफ्ते तक हल्दी-दूध जरूर पिएं. 


काली मिर्च का सूप पीएं


काली मिर्च डालकर सूप पिएं. इससे गले को आराम मिलता है. प्रदूषण में अगर आपका रोज निकलने का काम है तो आप हफ्ते में इसे 3-4 बार जरूर पिएं.