Breastfeeding Reduce The Risk Of Heart Disease: कहते हैं नवजात के लिए मां के दूध से बेहतर कुछ और हो ही नहीं सकता. स्तनपान करवाने से शिशु कई बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं. मां को भी कई बीमारियों से सुरक्षा मिलती है. दरअसल शिशु को स्तनपान करवाने से हार्मोन संतुलित रहते हैं. मां का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है. स्टडी में यह खुलासा हुआ है कि जो महिलाएं स्तनपान करवाती हैं उनमें हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है आइए जानते हैं इस स्टडी के बारे में सब कुछ


ब्रेस्टफीडिंग से दिल के रोग का खतरा होता है कम- स्टडी


यह स्टडी इंटरनेशनल ब्रेस्टफीडिंग जर्नल में हाल ही में प्रकाशित हुआ है. शोधकर्ताओं ने हार्ट हेल्थ और स्तनपान के बीच का कनेक्शन बताया है. स्टडी में पाया गया है कि जिन महिलाओं ने अपने बच्चे को कम से कम 6 महीने तक दूध पिलाया है उन्हें प्रसव के बाद 3 साल तक कंप्लीट प्रेशर और शरीर के वजन में सुधार का अनुभव हुआ है यानी कि इसका साफ मतलब है कि इन महिलाओं में कार्डियोमेटाबॉलिक का जोखिम फ्यूचर में कम हो गया.फिनलैंड यूनिवर्सिटी में प्रेगनेंसी हेल्थ एंड बियोंड रिसर्च ग्रुप का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर क्लेयर रॉबर्ट्स के मुताबिक गर्भावस्था की जटिलताओं वाली महिलाओं के लिए यह स्टडी पॉजिटिव पाई गई है. प्रसव के बाद कम ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में काफी सुधार दर्ज हुआ है. हालांकि इस पर और भी ज्यादा अध्ययन करने की जरूरत है.


एक अन्य स्टडी में हुआ खुलासा


इसके अलावा अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में पब्लिश हुई स्टडी के मुताबिक 1 मिलियन से भी ज्यादा मां हो पर किए गए शोध के आधार पर बताया गया है कि स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को हार्ट डिजीज स्ट्रोक या इन बीमारियों के चलते मौत की आशंका कम हो जाती है. यह स्टडी 10 साल तक की गई स्टडी के मुताबिक जिन माओं ने बच्चों को थोड़ा भी स्तनपान करवाया है उनमें हर्ट डिसीज होने की संभावना बहुत कम मिली.


क्या है WHO की राय


डॉक्टर कहते हैं कि स्तनपान के दौरान रिलीज होने वाला हार्मोन हार्ट, हेल्दी वेट और मेटाबॉलिज्म को अच्छा रखने में मदद करता है.वहीं डब्ल्यूएचओ की माने तो बच्चे को 6 माह का होने तक ब्रेस्टफीड करवाना चाहिए और उसके 2 साल या उससे ज्यादा साल का होने तक ब्रेस्टफीडिंग और आहार देना चाहिए.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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