Brain Problem: दिल और दिमाग ही तय करते हैं कि व्यक्ति जिंदा है. दिल धड़कना बंद कर दे तो समझ लीजिए व्यक्ति की मौत हो चुकी है. यदि ब्रेन डेड हो जाए तब भी व्यक्ति को डेड मान लिया जाता है. हेल्दी बॉडी के लिए हेल्दी ब्रेन होना बहुत जरूरी है. लेकिन कई बार मानसिक तनाव, हाइपरटेंशन और अन्य वजहों से ब्रेन को झटके लग जाते हैं. ब्रेन में ब्लड सप्लाई बाधित हो जाती है. इसे आमतौर पर ब्रेन स्ट्रोक के नाम से जाना जाता है. 


क्या है Brain Stroke


ब्लड सप्लाई सही होने से पूरी बॉडी चलती है. दिल का काम बॉडी के बाकी हिस्सों में ब्लड पहुंचाना है. लेकिन कई बार ब्रेन को ब्लड पहुंचाने वाली ब्लड वैसेल्स में ब्लॉकेज आने की वजह से ब्लड नहीं पहुंचता. कई बार ब्लड वैसेल्स फटने की वजह से ब्लड ब्रेन में लीक हो जाता है. जैसे ही ब्रेन में ब्लड नहीं पहुंचता. वह काम करना बंद कर देता है. बस यही कंडीशन Brain Stroke है.


इन symptoms पर करें गौर


दिखने में दिक्कत होना


बॉडी के हर पार्ट को ब्रेन कंट्रोल करता है. इसके प्रभावित होते ही पूरी बॉडी डिस्टर्ब हो जाती है. ब्रेन स्ट्रोक से आंखों का विजन प्रभावित होता है. कई बार थोड़ी देर के लिए रोशनी चली जाती है, कई बार धुंधला दिखाई देना शुरू हो जाता है. दिमाग से सूचना ले जाने वाली नर्व के डैमेज हो जाने के कारण ऐसा होता है.


चेहरे का एक हिस्सा लटक जाता है


चेहरे का एक हिस्सा टेढ़ा हो जाता है ब्रेन स्ट्रोक का सीधा असर हमारे चेहरे पर दिखता है. इससे चेहरा टेढ़ा हो जाता है और कुछ लटक भी जाता है. यह चेहरे के एक्सप्रेशन को भी प्रभावित करता है. स्ट्रोक के कारण मुंह या आंखें अक्सर प्रभावित होती हैं.


बॉडी में एनर्जी नहीं रहती


बॉडी में बिल्कुल एनर्जी नहीं रहती. कभी-कभी लगता है कि पूरा शरीर सुन्न हो गया है. व्यक्ति खुद की मदद भी नहीं कर पाता. आप अपने शरीर के किसी एक हिस्से को महसूस नहीं कर पाते हैं. यह हार्ट स्ट्रोक के सबसे आम लक्षणों में से एक है. मस्तिष्क के एक पार्ट में ब्लीडिंग होने के कारण दूसरा हिस्सा सुन्न हो जाता है.


सीने में दर्द होना


कई बार पेशेंट के सीने में गंभीर दर्द होता है. लोग इसे गैस या बदहजमी का दर्द समझ कर टाल देते हैं. लेकिन इस पर ध्यान देने की जरुरत है. तुरंत डॉक्टर के पास जाकर चेक कराएं.


हकलाकर बात करना


ब्रेन के फंक्शन प्रभावित होने का असर पूरी बॉडी पर दिखता है. स्ट्रोक के दौरान जुबान पर भी असर दिखता है. क्योंकि यह मस्तिष्क द्वारा कंट्रोल होती है. व्यक्ति हकलाने लगता है या बात नहीं कर पाता. स्ट्रोक के दौरान स्पीच मसल्स पैरालाइज हो जाती हैं. और पेशेंट कोशिश करने पर भी बोल नहीं पाता.



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