नईदिल्ली: आज के लाइफस्टाइल में अस्थमा जैसी बीमारी होना आम बात हो गई है. ना सिर्फ बैड लाइफस्टाइल बल्कि पॉल्यूशन भी अस्थमा के लिए जिम्मेदार है. आज हम आपको बता रहे हैं कि वे कौन से मिथ है जो लोगों को अस्थमा को लेकर होते हैं.


मिथ- अस्थमा आता है और जाता है, ये हमेशा नहीं रहता!
फैक्ट- अस्थमा के दौरान चेस्ट में कंजेशन होना, ठीक से सांस ना आना, कफ होना ये सभी सिम्टम्स दिखाई देते हैं. आपको ये जानना जरूरी है कि अस्थमा एक क्रोनिक डिजीज है जो कि लंबे समय तक रहती है. अस्थमा का इलाज दवाओं से लंबे समय तक होता है. बेशक, उसके सिम्टम्स ना दिखाई दें. यदि आप सोचते हैं कि अस्थमा के सिम्टम्स नहीं है तो दवाएं छोड़ तो आप अपनी हेल्थ के साथ बुरा कर रहे हैं.


मिथ- अस्थमा मरीज नॉर्मल लाइफ नहीं जी सकते!
फैक्ट- ये एक भ्रम है. अस्थमा होने पर भी आप नॉर्मल और हेल्दी लाइफ जी सकते हैं. अगर आप अपने डॉक्टर की सलाह पर चलते हैं और नियमित तौर पर दवाएं लेते हैं तो अस्थमा आपको बहुत तकलीफ नहीं देगा. बहुत से सेलिब्रिटीज हैं जिनको अस्थमा है लेकिन वे नॉर्मल और एक्टिव लाइफ जी रहे हैं.


मिथ- अस्थमा पेशेंट ना कोई स्पोर्ट्स खेल सकते हैं और ना ही एक्सरसाइज कर सकते हैं!
फैक्ट- अस्थमा होने पर भी आप खेल भी सकते हैं और एक्सरसाइज भी कर सकते हैं. लेकिन आपको नियमित तौर पर डॉक्‍टर की सलाह पर दवाएं लेना जरूरी है. अस्थमा के मरीजों के लिए स्वीमिंग बेहतर है. बहुत से अस्थमा मरीजों को एक्सरसाइज के बाद बहुत रिलीफ मिलता है. आप अपने टीम मेंबर्स, जिम स्ट्रक्टेर या कोच को पहले ही बता दें कि आपको अस्थमा है.


मिथ- इन्हेलर से ज्यादा बेहतर है दवाएं और सिरप!
फैक्ट- ये सिर्फ एक मिथ है कि अस्थमा मरीजों के लिए इन्हेलर से बेहतर दवाएं हैं. इन्हेलर थेरेपी अस्थमा में बेस्ट है. टैबलेट्स और सीरप अपना असर देर से दिखाती हैं जबकि इन्हेटलर ड्रग डायरेक्ट लंग्स में जाती है.


मिथ- इन्हेलर महंगा है!
फैक्ट– ये भी एक मिथ है कि इन्हेलर थेरेपी दवाओं और सीरप ये महंगी है. लेकिन सही बात ये है कि टेबलेट और सीरप की एक दिन की जितनी कोस्ट होती है इन्हेलर की उससे भी सस्ती होती है. इंडिया में इन्हेलर आसानी से एफोर्ड किया जा सकता है.