Research On Animals: आज World Welfare Animal Day है. इस दिन का मकसद विश्व में पशु सुरक्षा की बात करना है यदि कोई प्रजाति संकट में है तो उसे बचाना है. किसी पशु पर अत्याचार हो रहा है तो उसके हाथों से भी पशु की रक्षा करना है, लेकिन आज हम आपको ऐसे ही फैक्ट से रूबरू कराने जा रहे हैं. मनुष्यों के लिए बनाए जाने वाली दवाओं के रिसर्च करने के नाम पर हर साल करोड़ों पशुओं को मार दिया जाता है या जला दिया जाता है.  दिलचस्प यह है कि टेस्टिंग में पशुओं को मारने के लिए Animal Welfare Act को इस मामले में और सरल कर दिया गया है, यानि की रिसर्च के नाम पर यदि पशुओं को मारा जाता है तो कार्रवाई नहीं की जा सकती है. आइए 10 पॉइंट्स में रिसर्च के नाम पर हो रहे मौत के खेल को समझने की कोशिश करते हैं.


1. अमेरिकी प्रयोगशालाओं में रिसर्च के नाम पर हर साल 10 करोड़ से अधिक जानवरों को जला दिया जाता है. अपंग कर दिया जाता है या फिर उन्हें जहर देकर मार दिया जाता है. 


2. जानवरों में सेफ और इफेक्टिव 92% प्रायोगिक दवाएं ह्यूमन ट्रायल में फेल हो जाती हैं. दवाएं रिसर्च के दौरान बेहद खतरनाक बन जाती हैं.


3. चूहों, पक्षियों, सरीसृपों(Reptiles) और उभयचरों(amphibians) का उपयोग करने वाली प्रयोगशालाओं को Animal Welfare Act (AWA) के तहत न्यूनतम सुरक्षा से छूट दी गई है.


4. यूएस प्रयोगशालाओं में उपयोग किए जाने वाले 90% जानवरों को परीक्षण किए गए जानवरों के ऑफिशियल आंकड़ों में नहीं गिना जाता है.


5. दुनिया का सबसे बड़ा कॉस्मेटिक बाजार वाला यूरोप, इज़राइल और भारत ने पहले ही सौंदर्य प्रसाधनों के लिए पशु परीक्षण, और नए पशु-परीक्षण किए गए सौंदर्य उत्पादों की बिक्री या एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है.


6. AWA के तहत रिजर्व जानवरों के साथ दुर्व्यवहार और अत्याचार किया जा सकता है. इसमें कानूनी कार्रवाई का प्रावधान भी नहीं है.


7. ह्यूमन सोसाइटी के अनुसार, एक कीटनाशक के पंजीकरण के लिए 50 से अधिक एक्सपेरिमेंट्स करने की जरूरत होती है. इसके लिए करीब 12 हजार जानवरों का प्रयोग किया जाता है. 


8. कुछ परीक्षण में पशु को  2 साल तक हर दिन एक पदार्थ दिया जाता है. कुछ अन्य परीक्षणों में गर्भवती जानवरों को मारना और उनके भ्रूणों पर टेस्टिंग करना भी शामिल है।  


9. वैकल्पिक परीक्षण 3 R(Reduce, Refuse, Recycle) का प्रयोग किया जाता है. इसमें न तो जानवरों की संख्या कम की जाती है और न ही उनको दिए जाने वाले दर्द को कम किया जाता है.


10. कई कॉस्मेटिक टेस्ट आमतौर पर चूहों, खरगोशों और गिनी पिग पर किए जाते हैं. यह स्किन और आंखों से संबंधित होते हैं. इन्हें सेव्ड स्किन पर रगड़ा जाता है और बिना कोई पेनकिलर दिए आंखों में डाला जाता है.