Gujarati Food Dabeli: गुजराती डिश में सबसे खास बात ये होती है कि वे लोग मीठा बहुत खाते है. गुजराती डिश दाबेली भी इसी से जुड़ी हुई है. गुजरात से लेकर मुंबई तक दाबेली का स्वाद लोगों को खूब भाता है. इसे देसी बर्गर भी कहा जाता हैं. दाबेली कई चीजों का मिक्सअप है. जिसे देखकर आपको बड़ा पाव या फिर बर्गर याद आ जाएगा.
दाबेली में दो पाव (ब्रेड) के बीच में जो मसाला होता है वही इसका असली स्वाद होता है. इसमें आलू तो होता ही है साथ ही असली मिठास इसकी चटनी में होता है. इस चटनी में इमली, खजूर, लहसुन और लाल मिर्च के साथ एक खास मसाला भी डाला जाता है. मसाले की वजह से इसमें खट्टा-मीठा स्वाद मिलता है. और फिर इसके ऊपर सेव (नमकीन) डालकर इसके स्वाद को दोगुना किया जाता है. आइए जानते हैं इसका इतिहास..
दाबेली का इतिहास(History Of Dabeli)
इस डिश को सबसे पहले गुजरात के कच्छ में केशव जी गाभा चूड़ासमा उर्फ केशा मालम ने बनाया था. साल 1960 में बनाई गई दाबेली की रेसिपी लोगों को इतनी पसंद आई कि देखते-देखते ये कई राज्यों में बनाई जाने लगी.
उस समय दाबेली सिर्फ ‘एक आने' में मिल जाती था. आज दाबेली की कीमत 10 से 15 रुपये है. दाबेली का अर्थ होता है 'दबाई हुई'. इसका नाम भी इसी तरह पड़ा और फिर आगे भी लोगों ने इसे कैरी किया.
इन राज्यों में है फेमस
गुजरात में तो हर जगह आपको दाबेली खाने को मिल जाएगी. किसी भी जगह पर आपको इस दाबेली के ठेले लगे मिल जाएंगे. गुजरात के अलावा महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और राजस्थान में भी दाबेली आसानी से मिल जाती है. मध्यप्रदेश के भोपाल और इंदौर में भी यह डिश मिलती है. लोग काफी पसंद करते हैं. लेकिन जगह बदलने के साथ-साथ इसका स्वाद भी बदलता जाता है. अगर आपको दाबेली यानी बर्गर का सबसे खास स्वाद चाहिए तो आपको गुजरात के कच्छ ही आना पड़ेगा.
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