Covid-19 vaccine: जॉनसन एंड जॉनसन की प्रायोगिक कोविड-19 वैक्सीन के शुरुआती मानव परीक्षण का नतीजा आ गया है. मानव परीक्षण में करीब तमाम वॉलेंटियर पर वैक्सीन के सिंगल डोज का इम्यून रिस्पॉन्स देखा गया, जबकि साइड-इफेक्ट्स नहीं के बराबर हुए. कंपनी को इस महीने के आखिर तक अंतिम और आखिरी चरण के परीक्षण के नतीजे जारी किए जाने की उम्मीद है. उसके बाद मंजूरी के लिए अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के पास आवेदन किया जाएगा.


जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन कारगर 


शोधकर्ताओं ने पहले और दूसरे चरण का मानव परीक्षण एक साथ किया था. उसका मकसद वैक्सीन के सुरक्षित होने का पता लगाना था. उन्होंने बताया कि वैक्सीन की एक या दो डोज से वॉलेंटियर में कोरोना वायरस के खिलाफ टी-सेल रिस्पॉन्स और एंटीबॉडी दोनों पैदा हुआ. परीक्षणों का मकसद ये जांचना नहीं था कि वैक्सीन किस हद तक लोगों को कोरोना वायरस के लक्षणों या संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा देगी, बल्कि इसके जरिए जारी तीसरे चरण के मानव परीक्षण पर काम करना था.


मानव परीक्षण के शुरुआती चरण में नतीजे सकारात्मक  


न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन में वैक्सीन के शुरुआती मानव परीक्षण के नतीजे जारी हुए हैं. शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम ने कहा कि करीब 800 वॉलेंटियर पर वैक्सीन का शुरुआती मानव परीक्षण किया गया. शुरुआती मानव परीक्षण में वैक्सीन सुरक्षित साबित हुई और संभावित तौर पर बीमारी की रोकथाम में मददगार होना चाहिए. परीक्षण करनेवाली टीम में नीदरलैंड्स, अमेरिका और बेल्जियम के विशेषज्ञ शामिल थे.


उन्होंने वॉलेंटियर के दो ग्रुप का गठन किया. एक ग्रुप में 18-55 उम्र वाले लोगों को रखा जबकि दूसरे ग्रुप में 65 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों को शामिल किया. परीक्षण से पता चला कि जिन लोगों को वैक्सीन दी गई, उनमें वायरस को निष्क्रिय बनानेवाली एंटीबॉडीज बनी. शोधकर्ताओं ने बताया कि 90 फीसद वॉलेंटियर में वैक्सीन के पहले डोज के बाद 29वें दिन जबकि तमाम वॉलेंटियर में पहले डोज के दो महीने बाद तक एंटीबॉडीज का निर्माण हुआ और एंटीबॉडीज लेवल कम से कम 71 दिन तक रहने का पता चला.


एफडीए ने कोविड-19 की दो वैक्सीन की आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी है. एक को फाइजर ने अपनी सहयोगी बायोएनटेक के साथ मिलकर बनाया है, जबकि दूसरी का निर्माण मॉडर्ना ने किया है. दोनों वैक्सीन के तीसरे चरण के मानव परीक्षण में करीब 95 फीसद सुरक्षित होने का दावा किया गया. दोनों कंपनियों ने वैक्सीन की एक नई तकनीक आरएनए या एमआरएनए का इस्तेमाल किया है. इसके विपरीत, जॉनसन एंड जॉनसन ने अपनी वैक्सीन के लिए अलग दृष्टिकोण को अपनाया है.


उसने अपनी वैक्सीन के लिए नजला, जुकाम का कारण बननेवाले एक वायरस का कमजोर वर्जन एडेनोवायरस 26 का इस्तेमाल किया, जो शरीर में जाकर इंसानी कोशिकाओं को वायरस के टुकड़े बनाने के लिए उभारता है जिसको इम्यून सिस्टम पहचान लेता है. कंपनी ने बयान में कहा है कि तीसरे चरण के मानव परीक्षण के डेटा को जनवरी के आखिर में जारी किया जा सकता है.


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