इंसानों में पाया जानेवाला कोरोना वायरस और पैंगोलिन में पाया जानेवाला कोरोना वायरस के बीच संरचनात्मक समानताओं का पता चला है. वैज्ञानिकों ने ये भी खुलासा किया है कि पैंगोलिन में पाया जानेवाला कोरोना वायरस इंसानों के बीच पहुंच सकता है और संक्रमण का कारण बन सकता है.


क्या पैंगोलिन के कोरोना वायरस में इंसानों को बीमार करने की है क्षमता?


रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने सार्स-कोव-2 और पैंगोलिन के कोरोना वायरस के बीच अहम संरचनात्मक समानताओं को खोजा है. उसका मतलब हुआ कि पैंगोलिन का कोरोना वायरस इंसानों को भी बीमार कर सकता है. वर्तमान महामारी को पैदा करनेवाला कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जानकारी अभी नहीं है, हालांकि कुछ शोधकर्ताओं ने उसके चमगादड़ से फैलने की आशंका जताई है. लेकिन, चमगादड़ के कोरोना वायरस और सार्स-कोव-2 के बीच एक बड़ा अंतर है.


इंसानी कोरोना वायरस-पैंगोलिन कोरोना वायरस में समानता का खुलासा 


जिससे पता चलता है कि कम से कम एक या ज्यादा जानवर या प्रजातियां ट्रांसमिशन की श्रृंखला हो सकते हैं. रिसर्च को नेचर कम्यूनिकेशंस में प्रकाशित किया गया है. वैज्ञानिकों ने नोवेल कोरोना वायरस में पाए जानेवाले स्पाइक प्रोटीन और वर्तमान में ज्यादातर समान चमगादड़ के कोरोना वायरस RaTG13 और मलेशियाई पैंगोलिन से अलग किए कोरोना वायरस की संरचना की तुलना की. उन्होंने पाया कि पैंगोलिन के वायरस में इंसानों को संक्रमित करने की क्षमता है जबकि चमगादड़ का वायरस पैंगोलिन को बीमार नहीं कर सका.


उन्होंने पैंगोलिन के कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन का अध्ययन करने के लिए क्रायो इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल किया. रिपोर्ट के मुताबिक, पैंगोलिन वायरस के स्पाइप प्रोटीन के कुछ हिस्से सार्स-कोव-2 के समान अविश्वसनीय पाए गए, जबकि दूसरे हिस्सों में अंतर रहा. वैज्ञानिकों ने रिसर्च के हवाले से कहा कि पैंगोलिन का वायरस संभावित तौर पर इंसानों के बीच पहुंच सकता है, इसलिए इस प्रजाति के जानवरों के संपर्क पर अत्यंत सावधानी बरतने की जरूरत है.


इस खतरे के खिलाफ सुरक्षा के लिए पैंगोलिन की तस्करी और अवैध व्यापार को बंद किया जाना चाहिए. हालाकि, उनका ये भी कहना है कि कोरोना वायरस के विकास से पर्दा हटाने के लिए रिसर्च की जरूरत है, मगर जितना ज्यादा हम उसके इतिहास को जानेंगे, उतना ही ज्यादा हम उसके काम को समझ सकेंगे और ये भी जान सकेंगे उसका विकास कैसे हुआ.


क्या वायु प्रदूषण से भी हो सकता है फेफडे़ का कैंसर, जानिए WHO ने क्या बड़ी बात कही


बढ़ते हुए कॉलेस्ट्रोल को ना करें नजरअंदाज, हो सकती है घातक बीमारी, जानें क्या हैं इससे बचने के उपाय