Unclaimed Dead Body: अक्सर हम देखते हैं कि कई जगहों पर लावारिस लाश (Unclaimed Dead Body) मिलती हैं. जिनमें से कई लाशों की तो पहचान तक नहीं हो पाती और कुछ की शिनाख्त (Dead Body Identification) होने में काफी वक्त लग जाता है. ऐसे में इन लावारिस लाशों का क्या होता है. ये कहां रखी जाती हैं और पुलिस को कितने दिन तक परिजनों का इंतजार करना पड़ता है. ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब जानने जरूरी हैं. जब भी पुलिस को कहीं पर लावारिस लाश मिलती है तो सबसे पहले जिला एसपी को सूचना दी जाती है. लाश की रिपोर्ट तैयार कर शिनाख्त करने का प्रयास होता है.  


शिनाख्त के लिए प्रदेश के थानों और आसपास के राज्यों के कंट्रोल रूम में मृतक के हुलिये की जानकारी दी जाती है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कहते हैं कि जैसे ही हमें लावारिस शव मिलता है तो ये पता लगाया जाता है कि ये किस प्रकार का मामला है. इसका पोस्टमार्टम करना है या नहीं. ये प्राकृतिक मौत है, दुर्घटना है या हत्या है. 


पुलिस कई तरीकों से करती है पहचान की कोशिश


शिनाख्त के लिए भी पुलिस कई तरीके अजमाती है. जैसे कि शरीर पर टैटू, जन्म चिह्न, कागज का कोई टुकड़ा, कुछ भी जो व्यक्ति की पहचान करने में मदद कर सके. कई लोगों के नाम, धार्मिक प्रतीक, पति या पत्नी के नाम या टैटू जैसा कुछ होता है, जो लावारिस लाश के मामले में पुलिस की सबसे ज्यादा मदद करता है. आजकल कई राज्यों में पुलिस थानों को एक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से भी जोड़ा जाता है. जिस पर ऐसे मामलों में पहला संदेश अनौपचारिक रूप से भेजा जाता है. इसके बाद मृतकों की पहचान के लिए अखबारों में विज्ञापन दिए जाते हैं. 


कितने दिन तक परिजनों का इंतजार करती है पुलिस?


इसके बाद पुलिस 3 से 4 दिन तक मृतक के परिजनों का इंतजार करती है. शिनाख्त नहीं होने पर पुलिस ही लावारिस लाश का अंतिम संस्कार करा देती है. मृतक के कपड़े मालखाने में जमा करा दिए जाते हैं. सालों तक पड़े रहने के बाद वे खुद ही नष्ट हो जाते हैं और जांच भी बंद हो जाती है. लाश को आमतौर पर चादर में लपेटकर मुर्दाघर में लेकर जाते हैं. फिर उन्हें स्ट्रेचर पर कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है. जांच के कागजात, या जांच के आधिकारिक दस्तावेज प्राप्त होने तक डॉक्टर लाश को नहीं छूते हैं. 


अंतिम संस्कार के दौरान आती है समस्या


जब इन लावारिस लाशों (Unclaimed Dead Body) की शिनाख्त नहीं होती और अंतिम संस्कार का समय आता है तो पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल होता है कि लाश का किस धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाए, उसे दफनाया जाए या फिर जलाया जाए. एक पुलिस अधिकारी ने बताया था कि अगर हम धर्म का निर्धारण नहीं कर सकते हैं, तो हम दाह संस्कार कर देते हैं. जिस लाश पर लिखे नाम या टैटू से अगर धर्म का पता चल जाता है तो ऐसे में, दफनाने के ज्यादातर मामलों में, शवों को राज्य के वक्फ बोर्ड को सौंप दिया जाता है. 


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