भारत की आध्यात्मिक विरासत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाने को लेकर प्रयास शुरू हो गए हैं. उत्तराखंड में हरिद्वार की पवित्र धरती पर दुनिया के सबसे बड़े “विश्व सनातन महापीठ” की स्थापना की जा रही है. एक हजार करोड़ की भारी-भरकम लागत से बनने वाला यह महापीठ साल 2032 तक पूरी तरह से तैयार हो जाएगा. 

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परियोजना का खाका किया गया पेश

इस विशाल परियोजना का औपचारिक शुभारंभ 21 नवंबर 2025 को हरिद्वार में शिला पूजन और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुआ था. इसके बाद 19 दिसंबर 2025 को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, जहाँ तीर्थ सेवा न्यास के अध्यक्ष और महापीठ के पीठाधीश्वर पूज्य तीर्थाचार्य श्री राम विशाल दास महाराज ने इस परियोजना का खाका पेश किया.

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हरिद्वार की लगभग 100 एकड़ भूमि पर बनने वाला यह केंद्र वैदिक वास्तुशास्त्र का अद्भुत नमूना होगा. इसमें कई ऐसी संरचनाएं होंगी जो विश्व में पहली बार देखने को मिलेंगी. यहां...

  • विश्व का प्रथम सनातन संसद भवन
  • वेद मंदिर एवं वेदागार
  • गुरुकुल एवं प्रशिक्षण केंद्र (2000 विद्यार्थियों की क्षमता)
  • 108 यज्ञशालाएं
  • 108 संत निवास
  • 1008 भक्त एवं यात्री आवास
  • देशी गौसंरक्षण केंद्र
  • सनातन टाइम म्यूजियम
  • विशाल धर्मसभा मैदान (लगभग 10,000 की क्षमता)
  • 108 तीर्थ स्थलों का प्रतीकात्मक परिक्रमा पथ
  • ध्यान केंद्र
  • विशाल भोजनालय
  • पुस्तकालय
  • शोध संस्थान
  • और अन्य सहायक संरचनाएं विकसित की जाएंगी

इसके साथ ही यहां सनातन योद्धाओं को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था भी की जाएगी. प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत आत्मरक्षा, शारीरिक और मानसिक सुदृढ़ता, योग, साधना, अनुशासन और सामाजिक दायित्वबोध पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. 

सनातन चेतना को संगठित करने का काम करेगा महापीठ

इस अवसर पर बाबा हठयोगी महाराज ने कहा, ''यह महापीठ समाज को सही दिशा देने और सनातन चेतना को संगठित करने का काम करेगा.'' वहीं श्रीराम विशाल दास जी महाराज ने स्पष्ट किया कि यहां धर्म केवल आस्था नहीं, बल्कि सेवा और शिक्षा का माध्यम बनेगा. 2025 से 2032 के बीच चरणों में पूरा होने वाला यह महाप्रकल्प न केवल पर्यटन और शिक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत को विश्व गुरु के रूप में पुनः स्थापित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा.

This copy was written by the Infotainment Desk