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धरती की सतह से लेकर समंदर-पर्यावरण तक पर नजर... जानें क्या है 'नॉटी बॉय' रॉकेट, जिसे लॉन्च कर ISRO ने रचा इतिहास

ISRO Launched INSAT-3 DS: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी की इसरो ने शनिवार (17 फरवरी) को अपना वेदर सैटेलाइट लॉन्च किया. जिससे मौसम के मिजाज का पता लगाने में आसानी होगी.

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ISRO Launched INSAT-3 DS: साल 2023 भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण और उपलब्धियों से भरा रहा क्योंकि इस साल भारत ने कई मिशन पर काम किया. 2024 का साल भी भारत के लिए बेहद खास रहने वाला है. भारत नई-नई तकनीकों का तेजी से विकास कर रहा है. चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 के सफल होने के बाद अब भारत के खाते में एक और उपलब्धि शामिल हो गई है. दरअसल, भारत के लिए अब मौसम के मिजाज का पता लगाना बेहद आसान हो जाएगा. 

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो ने शनिवार को अपना वेदर सैटेलाइट लॉन्च किया. इसके लिए स्पेस एजेंसी ने ऐसे रॉकेट का इस्तेमाल किया है जिसे "नॉटी बॉय" कहा जाता है. इसे जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल (GSLV) के नाम से जाना जाता है. लॉन्च के साथ ही इसरो चीफ एस.सोमनाथ ने कहा कि जल्द ही चांद की सतह से मिट्टी को धरती पर लाने की योजना बनाई जा रही है. 

सैटेलाइट मौसम के लिए आवश्यक 

मौसम की जानकारी देने वाले सैटेलाइट INSAT-3 DS को सोमवार (17 फरवरी ) को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया. सैटेलाइट को ले जाने वाले रॉकेट की लंबाई 51.7 मीटर है. इस सैटेलाइट का वजन 2,274 किलोग्राम है. इस मौसम उपग्रह को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसके माध्यम से मौसम का पूर्वानुमान और आपदा संबंधी चेतावनी मिलने में मदद मिलेगी. साथ ही उपग्रह को जीएसएलवी एफ-14 के द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा.  

क्यों कहा जाता है "नॉटी बॉय"

मौसम की जानकारी देने वाले सैटेलाइट को जिस रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया गया है, उसे भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी का नॉटी बॉय भी कहा जाता है. इसरो के मुताबिक, जीएसएलवी रॉकेट का ये 16वां मिशन है और स्वदेशी क्रायोजॉनिक इंजन का प्रयोग करते हुए 10वीं फ्लाइट है. इसके फेल होने की दर 40 प्रतिशत है इसलिए जीएसएलवी रॉकेट को इसरो के एक पूर्व अध्यक्ष ने द्वारा नॉटी बॉय नाम दिया गया था.  इस रॉकेट के 15 उड़ान में से 4 नतीजे फेल हुए थे. जीएसएलवी का आखिरी प्रक्षेपण 29 मई को किया गया था जो कि सफल परिक्षण था. इसके पहले 12 अगस्त 2021 में किया गया परिक्षण असफल रहा था.  2024 में इसरो का यह सफल मिशन है. इससे पहले इसरो ने 1 जनवरी को पीएसएलवी -सी58 को लॉन्च कर चुका है. 8 सितबंर 2016 को इस सीरीज के आखिरी सैटेलाइट इनसैट-3DR को लॉन्च किया गया था. 

इनसैट3 डीएस सैटेलाइट की मिशन लाइफ 10 साल की है. इसका मतलब है कि यह सैटेलाइट आने वाले 10 साल तक मौसम में हो रहे सभी प्रकार के बदलाव की जानकारी देता रहेगा. इस सैटेलाइट को बनाने में लगभग 500 करोड़ रुपए का खर्च किया गया है. सफल होने और वर्किंग मोड में आने के बाद सैटेलाइट तूफान, जंगली आग, बर्फबारी, धुआं और बदलते पर्यावरण की जानकारी देने में सक्षम होगा. सैटेलाइट का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी की सतह और समुद्री पर्यवेक्षण के अध्ययन का विकास करने में मदद करना है. इनसैट-3 जीएस सैटेलाइट भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किए जाने वाले तीसरी पीढ़ी के मौसम विज्ञान उपग्रह का अनुवर्ती मिशन है.  इसके माध्यम से प्राकृतिक संबंधी और प्राकृतिक आपदाओं की पहले से ही जानकारी लेने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही यह सैटेलाइट वर्तमान में कार्यरत इनसैट3 D और इनसैट3 DR सैटेलाइट के साथ-साथ मौसम संबंधी सेवाओं को भी बढ़ाएगा. 

चांद की सतह से मिट्टी लाने की तैयारी

चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के करीब 6 महीने बाद इसरो ने एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम की है. इसरो के मुताबिक चंद्रयान को लेकर आंतरिक स्तर पर चर्चा जोरों पर है. इस मिशन के लिए अनोखा डिजाइन और मॉर्डन टेक्नोलॉजी का विकास किया जा रहा है. 2023 में अगस्त में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण किया गया था.

अब इसरो चांद की सतह से मिट्टी को धरती पर लाने के लिए एक मिशन की योजना बना रही है. इस बात की जानकारी इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने इनसैट-3 डीएस सैटेलाइट के लॉन्च के समय दी. साथ ही, उन्होंने ये भी कहा कि इसरो चंद्रयान-3 की सफलता के बाद आने वाले समय में चंद्रयान-4,5,6 और 7 मिशन भी भेजना चाहती है.

इसरो अध्यक्ष ने कहा कि हम इस योजना पर काम कर रहे है कि चंद्रयान-4 अंतरिक्ष में क्या कुछ अलग किया जा सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि हम इस बार कुछ अलग करने की योजना बना रहे है. योजना में तय किया गया है कि चंद्रयान-4 के जरिए चंद्रमा की मिट्टी का सैंपल पृथ्वी पर लाया जाए और हम इसे रोबोटिक तरीके से करना चाहते है. एस.सोमनाथ ने ये भी कहा है कि वैज्ञानिकों के द्वारा चंद्रयान-4 मिशन के लिए हाई लेवल की टेक्नॉलिजी का विकास कर रहे है. उन्होंने कहा कि हम इसके लिए उच्च प्रौद्योगिकी का विकास कर रहे है. सरकार की मंजूरी के बाद हम जल्द ही इस बारे में जानकारी देंगे. 

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Published at : 19 Feb 2024 03:21 PM (IST) Tags: chandrayaan ISRO
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