हिंद प्रशांत क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ रही है लेकिन ये कोई नई बात नहीं है. भारत और मालदीव के बीच रिश्ते भी अब लगातार निम्नतर स्तर पर पहुंच रहे है. हाइड्रोग्राफिक समझौते को मोइज्जु ने रद्द कर दिया है. इसी बीच खबर मिली है कि जो जहाज पाकिस्तानी की तरफ जा रहा है उसे भारत द्वारा मुंबई के बंदरगाह के पास रोक दिया गया है. क्योंकि यह संदेह था कि उसके न्यूक्लियर सामानों का इस्तेमाल चोरी-छिपे किया जा सकता था. यानी भारत के आसपास के सामुद्रिक क्षेत्र में हिंद महासागर में काफी सारी गतिविधियां हो रही है. कल चीन का रक्षा बजट आया जिसमें चीन ने 7 से 8 फिसदी की बढ़ोतरी की है. उसमें भी सारा जोर सेना के आधुनिकरण पर दिया गया है. इन सब से यह पता चलता है कि भारत को अपनी नौसेना के सुदृढ़ करने की बेहद आवश्यकता है.


वर्तमान सरकार ने बदल दिया है नॉरेटिव


पिछले कई सालों से चीन अपने नौसेना के आधुनिकरण पर लगा हुआ है और इसी वजह से पिछले कई सालों से रक्षा बजट में बढ़ोतरी करता आया है. इस बार उन्होंने अप्रत्याशित बढ़ोतरी करते हुए 7 से 8% की बढ़ोतरी की है. इसमें भी इन्होंने मुख्य ध्यान हिंद महासागर को, अपनी नौसेना के आधुनिकरण को यहां तक की जो इंडो पेसिफिक की बात आती है और क्वॉड को मद्देनजर रखते हुए, भारत पर कही न कहीं लगाम लगाने के लिए चीन ने अपने डिफेंस बजट में बढ़ोतरी की है. इसमें चीन ने मुख्य ध्यान मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर और हिंद महासागर के इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा ध्यान दिया है. लेकिन भारत के लिए कोई नई बात नहीं है क्योंकि इस तरह का अंदेशा भारत को पिछले कई सालों से था. उसी को ध्यान में रखते हुए भारत ने भी अपने डिफेंस आधुनिकरण को अच्छा किया है. 



भारत ने अपने बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी अच्छा कर लिया है. उसी को ध्यान में रखते हुए पहले बोला करते थे कि भारत की सीमा से जो गांव लगते थे उनका आखिरी गांव बोला जाता था, लेकिन वर्तमान सरकार ने वह नॉरेटिव बदल दिया है और बोला है वह भारत का पहला गांव है. इससे गांव का भी आधुनिकरण किया जा रहा है साथ ही रोड को भी अच्छा किया जा रहा है और इन्फ्रास्ट्रक्चर को डिफेंस मैकेनिज्म को लेकर बहुत सही हुआ है. 


चीन का गुलाम बनने को तैयार छोटे देश


इसी के ध्यान में रखते हुए, चुकी बहुत सालों तक भारत का ही इस्टर्न कमांड और वेस्टर्न नेबल कमांड यानी नौसेना के दो ही प्रमुख अड्डे हुआ करते थे. वेस्ट और ईस्ट में, वेस्ट में मुंबई की तरफ, ईस्ट यानी कि विशाखापट्टनम की तरफ.  कुछ साल पहले ही भारत ने चीन के स्टिंग ऑफ पर्ल्स स्ट्रेटजी को ध्यान में नजर रखते हुए और जो पड़ोसी मुल्क है जो अपने छोटे-मोटे फायदे के लिए चीन का गुलाम बनने को तैयार है और वह कभी भी चीन की गोद में जाकर बैठ जाते हैं. उसी को ध्यान में रखते हुए अंडमान और निकोबार को अपना तीसरा मुख्य सैनिक अड्डा बनाया. अभी हाल ही में हम लोगों ने लक्षद्वीप को चौथा नौसेना का सैनिक अड्डा बनाने की पूरी तैयारी है. उसी के मद्दे नजर भारत में पूरी तरह से लक्षद्वीप का कायाकल्प किया है और आने वाले समय में भारत कई और अत्याधुनिक, खुद से बने हुए एयरक्राफ्ट कैरियर और आने वाले हैं. अभी भारत के पास दो है और अभी दो और आने वाले हैं. अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप के जो आइलैंड चैन है वहां पर उनको स्थापित करेंगे. 



अभी हाल ही में भारत में आईएनएस जटायू को लक्ष्यद्वीप में स्थापित किया है उससे पहले उन्होंने भारत आईएनएस द्वीप रक्षक को भी स्थापित किया था. अभी जटायू को मिनी आइलैंड के पास कमीशन किया है. यह आईलैंड मालदीव से सिर्फ 564 किलोमीटर की दूरी पर है और यह दूरी समुद्र में लगभग ना के बराबर है. जिस प्रकार से मोइज्जू की सरकार मालदीव में आई है और आते ही उन्होंने जो प्रो चीन स्टैंड लिया है, एंटी इंडिया स्टैंड लिया है और भारतीय ट्रूप्स को वापस भेजने की बात कही है और अभी हाल ही में उन्होंने चीन के साथ एक डिफेंस एग्रीमेंट भी साइन किया है. उन्होंने बोला है कि कि अब हम अपना हाइड्रोग्राफिक सर्वे जो भारत करता था, वह एग्रीमेंट भी खत्म कर रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने पिछली मालदीव की सरकार ने जितने भी एग्रीमेंट साइन किए हैं, उसका भी रिव्यू करने की बात कर रहे हैं. यह सब चीन के इशारे पर ही किया जा रहा है और भारत इससे भली-भांति परिचित भी है. हालांकि भारत अपना हाइड्रोग्राफिक सर्वे पूरा कर चुका है और उसके बावजूद भी वह कह रहे हैं कि हम इसको रिव्यू नहीं  करेंगे और और खुद से ही करेंगे. यह सिर्फ और सिर्फ चीन के इशारे पर किया जा रहा है. 


भारत का प्रजेंस होगा और मजबूत


इसी वजह से लक्षद्वीप को प्रमोट किया जा रहा है और नए सैनिक अड्डे के रूप में उभर रहा है. भारत के नौसेना के प्रमुख आर. हरि ने बुधवार (6 मार्च) को कहा कि आईएनएस जटायू सागर में भारत आंख और कान बनकर उभरेगा और हमें अब यह पता रहेगा कि इस एरिया में क्या-क्या गतिविधियां चल रही है. वैसी गतिविधियां जो भारत की संप्रभुता के खिलाफ है, एक अच्छा रोल प्ले करेगा. इन्हीं के माध्यम से ही एक जहाज पकड़ा गया, जो कि पाकिस्तान का था जिसमें कुछ न्यूक्लियर एक्टिविटी हो रही थी. अब भारत के लिए बहुत जरूरी है अब वो अरब के सागर में आंख, नाक और कान बढ़ा दें. ताकि भारत चीन ही नहीं बल्कि पाकिस्तान पर भी लगाम लगा पाए और अभी वर्तमान लाल सागर को लेकर विवाद चल रहा है हूती विद्रोही अटैक कर रहे है जिससे भारत भी प्रभावित हो रहा है तो ऐसे में एक अच्छा नेबल देश और एक ही नहीं बल्कि मुंबई या मुंबई का नेबल कमांड, लक्ष्यद्विप का भी नेबल कमांड होना भारत के प्रजेंस को अरब सागर में और पुख्ता करेगा. भारत सजग है और चीन या पाकिस्तान से आने वाली सभी चुनौतियों के लिए भारत तैयार हो चुका है. 


भारत की धमक अंतराष्ट्रीय राजनीति में विश्व पटल


भारतीय नौसेना कई सालों से अपने आधुनिकरण के लिए रशिया पर निर्भर था. लेकिन रशिया भारत का एक पुराना और टाइम टेस्टेड मित्र है. और यह दोस्ती बहुत आगे निकल कर आई है. डिफेंस को लेकर विविधिकरण किया है. सिर्फ एक राष्ट्र ही नहीं बल्कि भारत को कई और राष्ट्रों से भी अपने डिफेंस की जरूरत की चीजों को पूरा करना चाहिए. इसके साथ ही आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी की बात की है, यानी की कुछ साल पहले भारत सिर्फ हथियार खरीदता था लेकिन भारत अब खुद भी हथियारों का निर्माण कर रहा है और उसे बेच भी रहा है.


आने वाले समय में या वर्तमान में भी भारत ने रशिया के साथ-साथ अमेरिका या कई और बड़े देश के चैलेंज प्रस्तुत किया है कि आब आप डिफेंस के इस बाजार में अकेले नहीं है, भारत भी है जिसके पास कई अत्याधुनिक औजार है जो वो बेच सकता है. चुकिं हम पहले डिफेंस के लिए रशिया पर निर्भर थे लेकिन रशिया ज्वाइंट वेंचर को और रिसर्च को भी प्रोमोट करता था. भारत और रशिया ने मिलकर कई अत्याधुनिक हथियार बना लिए है. अब वो विशेषता भारतीय नौसेना में भी नजर आती है. इसी वजह से भारत दो से तीन युद्ध पोर्ट जिसे एयरक्रॉफ्ट कैरियर कहा जाता है उसे बनाया जा रहा है जो कि पूरी तरह से स्वदेशी है. यहां तक कि न्यूक्लियर पावर सबमरीन क्राफ्ट कैरियर भारत बना रहा है, जल्द ही नौसेना में वो कमीशन होते जाएंगे. 


ब्रह्मोस मिसाइल जो भारत द्वारा बनाया गया है जिसका रशिया के साथ ज्वाइन इंवेंशन है. इसके साथ ही कई अत्याधुनिक मिसाइलें भी है जिसका नौसेना वर्जन भी कमीशन किया है और सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि वियतनाम, फिलीपींस के रक्षा मंत्री कुछ समय भारत आए थे उनके साथ भी ब्रह्मोस मिसाइल को बेचने की डील फाइनल कर ली है. क्योंकि वियतनाम, थाइलैंड फिलीपींस चीन के चैलेंज को महसूस कर रहे है. भारत अपने साथ-साथ साउथ-ईस्ट एशिया देश के नेवी को भी मॉडर्नाइज कर रहा है. भारत के पास विशेषज्ञता है, वो एक लंबा रोल प्ले कर रहा है भारत को एक अंतराष्ट्रीय मंच पर एक शक्ति के रूप में इस स्वावलंबन में भारत को खड़ा कर दिया है. आने वाले समय में भारत की धमक अंतराष्ट्रीय राजनीति में विश्व पटल पर नजर आएगी और नौसेना का अधुनिकरम इस धमक को और भी आगे लेकर जायेगा.