भारतीय वायुसेना को आज यानी रविवार 10 अक्टूबर 2023 को उसका नया ध्वज मिल गया. भारतीय वायु सेना (IAF) प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने प्रयागराज में वार्षिक वायु सेना दिवस परेड के दौरान नए ध्वज का अनावरण किया और नौसेना की तरह औपनिवेशिक अतीत का त्याग करते हुए अपने ध्वज में बदलाव किया. यह एक ऐतिहासिक अवसर इसलिए भी था कि 72 वर्षों में पहली बार वायुसेना ने इस तरह का अभ्यास किया, जहां जांबाजों ने जमकर करतब दिखलाए. नए ध्वज में ऊपरी दाएं कोने में अपने प्रतीक चिह्न को शामिल किया है और इसके शीर्ष पर अशोक स्तंभ है. उसके नीचे देवनागरी में 'सत्यमेव जयते' लिखा है, जो हमारे राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ से लिया गया है. ध्वज में अशोक स्तंभ के नीचे एक हिमालयी बाज भी दिखाया गया है, जिसके पंख फैले हुए हैं यानी वह पूरी परवाज में है. हिमालयी बाज को हल्के नीले रंग से घेरा हुआ है. इसी के ठीक नीचे 'भारतीय वायुसेना' और इसका आदर्श वाक्य 'नभः स्पृशं दीप्तम्' देवानगरी में सुनहरे अक्षरों में अंकित है. वायुसेना का आदर्श वाक्य श्रीमद्भगवद्गीता से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है- गौरव के साथ आकाश को छुओ. 


वायु सेना को बढ़ाना होगा अपना कौशल 


वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने इस मौके पर यह भी कहा कि आधुनिक युद्धों की कोई सीमा नहीं है, इसलिए वायु सेना को हर तरह के युद्ध के लिए तैयार रहना होगा. लड़ाई में हावी होने के लिए अंतरिक्ष, साइबर और जमीनी क्षमताओं के तालमेल को वायुसेना को बढ़ाना होगा ताकि उसकी कुशलता भी बढ़े. एयर चीफ मार्शल चौधरी यहां 92 वें वायु सेना दिवस के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे. सीडीएस जनरल अनिल चौहान, नौसेना और थल सेना प्रमुखों की भी इस कार्यक्रम में मौजूदगी थी. वायु सैनिकों को संबोधित करते हुए एयरचीफ मार्शल ने कहा कि पिछले नौ दशकों में भारतीय वायुसेना की ताकत लगातार बढी है और यह दुनिया की बेहतरीन वायु सेनाओं में से एक बन गई. हालांकि उन्होंने सवालिया लहजे में यह भी पूछा कि क्या इतना काफी है?



अगर भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की राह पर है, तो 2032 में जब हम (यानी वायुसेना) 100 वर्ष पूरे करेंगे, तब तक भारतीय वायुसेना को सर्वोत्तम नहीं तो सर्वोत्तम में से एक होना चाहिए. उन्होंने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि मल्टी-डोमेन ऑपरेशन से लेकर हाइब्रिड युद्ध तक, वायु सेना को यह पहचानने की जरूरत है कि आधुनिक युद्ध पारंपरिक सीमाओं से परे है. एयर चीफ मार्शल ने कहा कि वायुसेना को युद्ध क्षेत्र पर हावी होने के लिए वायु, अंतरिक्ष, साइबर और जमीनी क्षमताओं को सहजता से अपनाना और जरूरत के मुताबिक ढलना होगा. वायुसैनिकों का उत्साह बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि खुद को आज की जरूरतों तक सीमित न रखें बल्कि आज से आगे सोचें और आपको एहसास होगा कि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. 


वायुसेना दिवस पर महिला अधिकारी 


भारतीय वायुसेना दिवस के मौके पर आयोजित परेड का जिम्मा पहली बार महिला अधिकारी को मिला. बमरौली में आयोजित परेड की कमांड ग्रुप कैप्टन शैलजा धामी ने संभाली. कैप्टन शैलजा को मार्च में वायुसेना की कॉम्बैट यूनिट की कमान सौंपी गई थी. उनको वायुसेना में 2003 में कमीशंड अधिकारी बनाया गया है. शैलजा को 2,800 घंटे की उड़ान का अनुभव है. भारतीय वायुसेना में से मिग-29 को इस साल के अंत तक हटा दिया जाएगा. इस बार के एयर शो में आखिरी बार संगम के ऊपर मिग-21 उड़ान भरेगा. वहीं इसी एयर शो में भारत के द्वारा भारत में ही बना पूरी तरह स्वदेशी सी-295 विमान, राफेल, सुखोई, तेजस, मिराज-220, चिनूक, जगुआर और अपाचे भी इसका हिस्सा रहेंगे. वायु सेना प्रमुख ने कहा कि तेजी से बदलती दुनिया में हमें सभी तरह की नई चुनौतियों से निपटने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए.


उन्होंने अनुशासन और अखंडता की संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर दिया और कहा कि उभरते खतरों के प्रति वायुयोद्धा हमेशा सतर्क रहें. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि देश की रक्षा के लिए सभी दृढ़ हैं और वायुसेना अपने क्षेत्र की रक्षा करने, विरोधियों को रोकने और लोगों की सुरक्षा करने के काम में पूरी तरह जुटी रहेगी. उन्होंने कहा कि पिछला साल काफी चुनौतियां लेकर आया लेकिन यह खुशी की बात है कि वायुसेना ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और हर चुनौती का सफलतापूर्वक सामना किया.


भारतीय वायुसेना का ध्वज बदलने के मौके पर उन्होंने कहा कि वायुसेना का नया ध्वज नयी उमंगों और आकांक्षा को प्रकट करता है. इससे पहले भारतीय नौसेना ने भी 2 सितंबर 2022 को नया झंडा अपनाया था. वह भी औपनिवेशिक अतीत को खत्म करने की कोशिश थी और आज जब वायुसेना के ध्वज को बदला गया है, तो भी औपनिवेशिक अतीत से छुटकारा पाया गया है. भारतीय वायुसेना हर साल 8 अक्टूबर को अपना स्थापना दिवस मनाती है.