Year Ender 2025: साल 2025 इतिहास के पन्नों में उस कालखंड के रूप में दर्ज किया जाएगा, जब भारत ने 'रक्षात्मक' होने की पुरानी केंचुल उतारकर 'आक्रामक' सुरक्षा की नई इबारत लिखी. यह साल आतंकवाद के खिलाफ केवल जंग का नहीं, बल्कि उनके वजूद को मिटाने वाले 'फाइनल प्रहार' का साल रहा. पहलगाम की कायराना हरकत के बाद जब देश के गुस्से का लावा फटा, तो उसने न केवल सीमा के भीतर बल्कि सीमा पार आतंकियों के सुरक्षित पनाहगाहों को भी अपनी जद में ले लिया.
जैश और लश्कर जैसे संगठनों के लिए 2025 एक ऐसा 'ब्लैक ईयर' साबित हुआ, जिसने उनके नेटवर्क की कमर ही नहीं तोड़ी, बल्कि उन्हें यह अहसास करा दिया कि अब पाताल में भी सिर छिपाना मुमकिन नहीं है.
ऑपरेशन सिंदूर: जब सरहद पार 'जल्लाद' बनकर टूटी भारतीय सेना
मई 2025 की वो तारीखें शायद पाकिस्तान कभी नहीं भूल पाएगा, जब भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए अपनी ताकत का सबसे वीभत्स और सटीक परिचय दिया. यह महज एक जवाबी कार्रवाई नहीं थी, बल्कि एक ऐसा प्रिसिजन स्ट्राइक था जिसने पीओके (PoK) और पाकिस्तानी सरजमीं पर बने 9 बड़े आतंकी अड्डों को श्मशान में तब्दील कर दिया. खबर आई कि करीब 100 से ज्यादा दहशतगर्दों को जहन्नुम पहुंचाया गया, जिनमें आईसी 814 हाईजैक का मास्टरमाइंड यूसुफ अजहर और अबु जुंदाल जैसे खूंखार नाम शामिल थे.
भारत ने इस ऑपरेशन के जरिए दुनिया को साफ कर दिया कि अब हम हमला होने का इंतजार नहीं करेंगे, बल्कि आतंक की जड़ को उसके घर में घुसकर काटेंगे. यह 'ऑफेंसिव डिफेंस' की वो नीति थी जिसने आईएसआई के सालों पुराने नेटवर्क को ताश के पत्तों की तरह बिखेर दिया.
ऑपरेशन महादेव: श्रीनगर के जंगलों में 'न्याय' की वो रात
जुलाई का महीना आते-आते श्रीनगर के हरवन और लिदवास के घने जंगलों में भारतीय जांबाजों ने वो कर दिखाया, जिसका इंतजार पूरा देश कर रहा था. पहलगाम हमले के जख्म अभी हरे थे, तभी 'ऑपरेशन महादेव' शुरू हुआ. गृह मंत्री ने संसद के पटल से जिन तीन पाकिस्तानी आतंकियों का नाम लिया था- सुलेमान शाह, अबु हमजा और यासिर उन्हें पहाड़ियों के बीच ट्रैक कर मौत की नींद सुला दिया गया. ये वो मास्टरमाइंड थे जिन्होंने भारतीय नागरिकों के खून से हाथ रंगे थे.
भारतीय सेना की तकनीक और जमीन पर मौजूद खुफिया तंत्र का तालमेल इतना सटीक था कि इन दहशतगर्दों को भागने का एक इंच मौका भी नहीं मिला. 2025 की यह सफलता दिखाती है कि भारतीय एजेंसियां अब सिर्फ गोली का जवाब गोली से नहीं, बल्कि वैज्ञानिक तरीके से आतंक का सफाया करने के मिशन पर हैं.
पुलवामा से कुपवाड़ा तक: जैश और लश्कर के 'फन' को कुचलने का साल
साल के अंतिम महीनों तक पहुंचते-पहुंचते कश्मीर घाटी से आतंक की गंदगी साफ करने का अभियान और तेज हो गया. मार्च में कुपवाड़ा के राजवार जंगलों में पाकिस्तानी घुसपैठिये सैफुल्लाह को 24 घंटे के भीतर ढेर करना हो या मई में पुलवामा और शोपियां के एनकाउंटर, सुरक्षा बलों ने चुन-चुनकर लश्कर और जैश के मॉड्यूल्स को तबाह किया.
आसिफ शेख, आमिर नजीर और शाहिद कुटे जैसे स्थानीय चेहरे हों या सीमा पार से आए गुर्गे, भारतीय सेना का 'क्लीन स्वीप' अभियान 110 से ज्यादा आतंकियों की बलि ले चुका है. आज हालात ये हैं कि टीआरएफ (TRF) जैसे छद्म संगठनों का नाम लेने वाला भी कोई नहीं बचा. 2025 की ये जीत सिर्फ आंकड़ों की नहीं है, बल्कि उस भरोसे की है कि अब सरहद की तरफ उठी हर आंख को फोड़ने का दम भारत रखता है.
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