डेली लाइफ में आपने ग्रीस का नाम तो जरूर सुना होगा. वही ग्रीस जो कि गाड़ियों, मशीनों और जहाजों में इस्तेमाल की जाती है. ग्रीस का इस्तेमाल इन चीजों को हर वक्त लुब्रिकेट रखने के लिए किया जाता है, जिससे कि मशीनें ठीक से काम करें और उनमें जंग न लग के वे जाम न हो जाएं. ग्रीस मशीनों का घर्षण कम करने, उसमें पानी के प्रवेश को रोकने और उनको जंग से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाती है. खासतौर पर ऐसी चीजों में जहां पर तेल जैसे तरल लुब्रिकेंट अपनी जगह पर नहीं टिक पाते हैं. 

वैसे तो कोई भी लुब्रिकेंट एक जैसा नहीं होता है. अलग-अलग तरह के ग्रीस अपने गुणों के आधार पर अलग अलग होते हैं. चलिए आज हम आपको इनके बारे में बताते हैं. 

ग्रीस का इतिहास

लुब्रिकेटिंग ग्रीस सदियों से चली आ रही है, जिसका इतिहास प्राचीन मिस्र से जुड़ा हुआ है. लंबे समय तक ग्रीस का मूल्यांकन स्पर्श, गंध और दिखावट के आधार पर किया जाता था. यह एक प्रारंभिक विधि थी, क्योंकि 19वीं शताब्दी में कच्चे तेल की खोज तक लुब्रिकेटिंग के पीछे के वास्तविक विज्ञान के बारे में बहुत कम जानकारी थी. 20वीं और 21वीं शताब्दी में तेजी से आगे बढ़ते हुए ग्रीस की तकनीक में प्रगति हुई है. आज हम अलग-अलग तरह की ग्रीस का इस्तेमाल अलग-अलग काम के लिए करते हैं. 

रंगीन ग्रीस क्यों होती है और इसका इस्तेमाल

ग्रीस में रंग मिलाने के कई कारण हैं जैसे कि किसी चीज को सुंदर दिखाने से लेकर जिस काम के लिए उसे बनाया गया है उसमें वो ठीक से इस्तेमाल. उदाहरण के लिए, सफेद ग्रीस अक्सर फूड ग्रेड मशीनरी से जुड़े होते हैं, काले ग्रीस भारी-भरकम मशीनरी के लिए इस्तेमाल किया जाता है और लाल ग्रीस हाई टेम्प्रेचर से जुड़ी हुई है. ग्रीस में रंग इसलिए मिलाया जाता है, ताकि हम उसका ठीक से चयन कर सकें. किसी मशीन में लगत ग्रीस का इस्तेमाल न हो, इसीलिए इसे पहचानने के लिए रंग-बिरंगी बनाई जाती है. ग्रीस का रंग एक संकेत मात्र है और आमतौर पर इसका उसके प्रदर्शन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. 

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