कभी किसी ने आपकी तारीफ कर दी हो, या भीड़ के सामने कुछ गलती हो जाए तो तुरंत गाल लाल पड़ जाते हैं, दिल की धड़कन तेज हो जाती है और आप चाहकर भी उस लालिमा को छुपा नहीं पाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? आखिर शर्मिंदगी के वक्त चेहरा लाल ही क्यों होता है, नीला, पीला या हरा क्यों नहीं? इसके पीछे साइंस है, चलिए जानते हैं.  

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क्यों शर्म से लाल होता है चेहरा?

जब भी हमें शर्म, घबराहट या किसी भावनात्मक स्थिति का सामना करना पड़ता है, तो हमारा मस्तिष्क शरीर को तुरंत एक सिग्नल भेजता है कि कुछ अलग हुआ है, इसके लिए तैयार हो जाओ. इस सिग्नल के जवाब में शरीर एड्रेनालाईन हार्मोन रिलीज करता है. यह वही हार्मोन है जो तब भी निकलता है जब हमें डर लगता है, गुस्सा आता है या हम किसी तनाव में होते हैं. यह शरीर की Fight or Flight यानि लड़ो या भागो प्रतिक्रिया का हिस्सा है. 

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कान तक दिखता है इसका असर

एड्रेनालाईन का असर पूरे शरीर पर होता है, लेकिन इसका सबसे सीधा प्रभाव रक्त वाहिकाओं पर पड़ता है. जब एड्रेनालाईन रिलीज होता है, तो ये रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं यानी चौड़ी हो जाती हैं, जिससे खून का बहाव तेज हो जाता है. इसका असर चेहरे, गर्दन और कानों जैसी जगहों पर सबसे ज्यादा दिखता है, क्योंकि इन जगहों की त्वचा पतली होती है और उनमें अधिक मात्रा में रक्त प्रवाह होता है.

यही कारण है कि जब आपको शर्म आती है, तो आपके चेहरे पर लालिमा यानि ब्लश नजर आता है. यह शरीर का एक अनैच्छिक रिएक्शन है, यानी आप चाहें तो भी इसे रोक नहीं सकते. यह इंसानों में ही पाया जाने वाला एक यूनिक रिएक्शन है, जो हमें जानवरों से अलग बनाता है. 

लाल ही क्यों हो जाता है चेहरा?

अब सवाल यह भी उठता है कि चेहरा लाल ही क्यों होता है, किसी और रंग का क्यों नहीं? इसका जवाब भी खून में ही छिपा है. जब खून का प्रवाह बढ़ता है, तो त्वचा के नीचे की कैपिलरीज (सूक्ष्म रक्त वाहिकाएं) में ऑक्सीजनयुक्त खून भर जाता है. ऑक्सीजन से भरपूर खून का रंग हल्का लाल होता है, जो त्वचा के आर-पार चमकने लगता है. अगर हमारी त्वचा मोटी होती या उसमें खून की मात्रा कम होती, तो शायद हमें यह लालिमा दिखाई ही नहीं देती.

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