जनवरी यूं तो साल का शुरुआती महीना होने के चलते खुशियां लेकर आता है लेकिन क्या आप जानते हैैं कि इस महीने को 'तलाक का महीना' भी कहा जाता है. जिसकी वजह शायद आपको थोड़ा चौंका देगी. जहां जनवरी से पहलेे फेस्टिव सीजन परिवार साथ में मनाते हैं वहीं नए साल की खुशी में तलाक की बात गम भी घोल देती है, लेकिन सालभर में शुरुआती महीने जनवरी को ही क्यों तलाक का महीना कहते हैं चलिए जानते हैं.


जनवरी क्यों कहलाती है तलाक का महीना
दरअसल एक स्टडी में पाया गया है कि फेस्टिव सीजन के तुंरत बाद आने वाली जनवरी तलाक  की दर सबसे ज्यादा देखनेे को मिलती हैै. जो इतनी ज्यादा होती है कि इस महीने को ही तलाक के महीने का तमगा दे दिया गया है.


क्यों होते हैं तलाक?
भारत में तलाक की दर 1 प्रतिशत है, वहीं पश्चिमी देशों में बड़ी संख्या में तलाक के केस देखे जाते हैं. जिसकी वजह फेस्टिव सीजन भी बताई जाती है. जिसे टिनसेलिंग के नाम से जाना जाता है. यूंं तो टिनसेलिंग का अर्थ चमकीली चीजों की सजावट से होता है लेकिन रिलेशनशिप में इसके मायने कुछ अलग होते हैं.


जहां रिश्ते में मतभेद आ जाते हैं और त्योहार के दौरान ऊपरी तौर पर पति-पत्नी एक-दूसरे से अच्छा व्यवहार करने की कोशिश कर रहे होते हैं. उस स्थिति को टिनसेलिंग कहा जाता है. वहीं एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जब रिश्तों में टिनसेलिंग की स्थिति आ जाती है तो त्योहार के खत्म होते ही कपल के आपसी मतभेेद खुलकर सामने आ जाते हैं और उनके अंदर भरा गुस्सा एक-दूूसरे पर फूट पड़ता है. इसी स्थिति के चलते जनवरी महीने में सबसे ज्यादा तलाक देखने को मिलते हैं. जिसके चलते इस महीेने को तलाक के महीने के नाम से भी जाना जाने लगा है.                                         


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