भारत में गर्मियों के दिनों में कई राज्य पानी की किल्लत से परेशान रहते हैं. वहीं कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार आने वाले सालों में यह जल संकट और गहरा सकता है. क्योंकि धरती के नीचे का पानी तेजी से घट रहा है. वहीं एक रिसर्च में यह भी सामने आया था कि उत्तर भारत में साल 2002 से लेकर 2021 तक लगभग 450 घन किलोमीटर ग्राउंड वाटर घट गया और भविष्य में इसकी मात्रा में और गिरावट आ सकती है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि भारत के किन राज्यों में तेजी से पानी खत्म हो रहा है और देश की राजधानी दिल्ली में कब तक के लिए पानी बचा है? देश के इन राज्यों में तेजी से खत्म हो रहा पानी
भारत के कई ऐसे राज्य हैं, जहां पानी तेजी से खत्म हो रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु ऐसे राज्य हैं, जहां के अधिकांश जिलों में जल संकट गहरा रहा है. वहीं 2022 से केंद्रीय भूजल बोर्ड और राज्य सरकारों की तरफ से हर साल भूजल संसाधनों का आकलन किया जाता है. इस आकलन की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार देशभर के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 102 जिलों को अति दोहित 22 जिलों को गंभीर और 69 जिलों को अर्ध गंभीर श्रेणी में रखा गया है. इन आंकड़ों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आने वाले समय में भारत में जल संकट कितना गहराने वाला है. दिल्ली में कब तक के लिए बचा है पानी?
देश की राजधानी दिल्ली भी जल संकट से प्रभावित है. दिल्ली पानी के लिए यमुना नदी और पड़ोसी राज्यों पर निर्भर रहती है. वहीं मौजूदा जल आपूर्ति के अनुसार अगर राजधानी में लंबित परियोजनाएं समय से पूरी नहीं हुई तो दिल्ली को आपूर्ति में 2032 तक का इंतजार करना पड़ सकता है. इस बीच दिल्लीवासियों को टैंकर और दूसरे पानी के सोर्स पर निर्भर रहना होगा. वहीं भारत में बढ़ते जल संकट को ध्यान में रखते हुए जल शक्ति अभियान की शुरुआत 2019 में की गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में जल शक्ति अभियान कैच द रेन की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य देश भर के जिलों में जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन और ग्राउंडवाटर को बढ़ावा देना है. भारत में पानी की कमी के मुख्य कारण
एक्सपर्ट्स के अनुसार भारत में जल संकट का कारण केवल प्राकृतिक नहीं है, बल्कि ज्यादा पानी का उपयोग, शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण भी इसकी बड़ी वजह है. दरअसल भारत में खेती और उद्योगों में सबसे ज्यादा पानी का उपयोग होता है. इसके अलावा शहरों में अनियोजित विकास और जंगलों की कटाई के कारण भी पानी की कमी आ रही है. वहीं नदियों और तालाबों के पानी का प्रदूषण, बदलते मानसून और लगातार सूखा भी पानी की कमी का मुख्य कारण माना जा रहा है.
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