Presidential Reference: 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल मामले की सुनवाई के दौरान एक अहम फैसला सुनाया था.  सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल विधायकों को अनिश्चितकाल तक के लिए नहीं रोक सकता. सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी बिल को लेकर एक डेडलाइन तय कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रपति के पास किसी भी बिल पर फैसला लेने के लिए 3 महीने का समय होगा.

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जिस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आपत्ति जताई है. इसी बीच प्रेजिडेंशियल रेफरेंस का भी जिक्र हो रहा है. क्या भारत के राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट को आदेश दे सकते है? क्या होता है प्रेजिडेंशियल रेफरेंस. चलिए आपको बताते हैं इसके बारे में पूरी जानकारी. 

क्या होता है प्रेसिडेंशियल रेफरेंस?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत प्रेजिडेंशियल रेफरेंस तय किया गया है.  यह एक स्पेशल प्रोसेस होती है. जिसके तहत भारत का राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट से किसी भी कानून या फिर संवैधानिक मुद्दे पर सलाह मांग सकते हैं. इसे दो भागों में डिवाइड किया गया है. अनुच्छेद 143 (1) के तहत भारत के राष्ट्रपति को कोई मुद्दा कानूनी तौर पर या फिर सार्वजनिक तौर पर जरूरी लगता है. तो ऐसे में वह सुप्रीम कोर्ट से सलाह मांग सकते है.

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आपको बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 74(1) के तहत भारत के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल की सलाह पर काम करते हैं. यानी सरकार की सलाह पर ही राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट से राय मांगते हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट किसी मुद्दे पर अपनी राय देता है. तो सरकार इसके लिए बाध्य नहीं होती कि उस राय को माना जाए. यानी सरकार उस राय को खारिज भी कर सकती है. 

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सुप्रीम कोर्ट को आदेश दे सकते हैं राष्ट्रपति?

अब कई लोगों के मन में यह सवाल भी आ रहा है कि क्या राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट को आदेश दे सकते हैं. तो आपको बता दें ऐसा नहीं है भारत के राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट से सलाह मांग सकते हैं. उसे आदेश नहीं दे सकते. भारतीय संविधान के मुताबिक न्यायपालिका यानी सुप्रीम कोर्ट एक स्वतंत्र संस्था है. जिस पर कार्यपालिका यानी राष्ट्रपति और सरकार नियंत्रण नहीं रख सकते. सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह से स्वतंत्र है. राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट को किसी तरह का फैसला लेने के लिए आदेश नहीं दे सकते और ना ही बाध्य कर सकते हैं. 

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