'इल्यूमिनाटी' ये शब्द अपने भीतर कई किस्से समेटे हुए है. यही वजह है कि जब सोशल मीडिया पर कुछ क्रिएटर्स ने इसकी बात की तो लोग इसके बारे में सबकुछ जानने के लिए गूगल के पेज पलटने लगे. लेकिन हिंदी में इस पर ज्यादा कुछ लिखा मिला नहीं.


हालांकि, आपको टेंशन लेने की जरूरत नहीं है. इस आर्टिकल में आपको इल्यूमिनाटी के बारे में कई चीजें पता चलने वाली हैं. इसके साथ ही आपको पता चलेगा कि आखिर इस संगठन का निर्माण कैसे हुआ और क्या ये अभी भी काम कर रही है.


इल्यूमिनाटी के बारे में की जाने वाली बातें


सोशल मीडिया पर आपको इल्यूमिनाटी से जुड़े कई वीडियो मिल जाएंगे. इनमें से ज्यादातर वीडियो में लोग आपको यही कहते हुए मिलेंगे कि ये संगठन दुनिया को कंट्रोल करता है. दो देशों के बीच युद्ध हो या दुनिया की मंदी या फिर किसी देश में सरकार गिराने और बनाने की बात हो. इस तरह के हर काम में इनका हस्तक्षेप होता है.


इस संगठन को लेकर यहां तक कहा जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति JF केनेडी की हत्या में भी ये शामिल थी. वहीं कुछ सोशल मीडिया क्रिएटर्स आपको ये बात करते हुए भी मिल जाएंगे कि इल्यूमिनाटी जैसे खुफिया संगठन के सदस्य बिल गेट्स और ओपरा विनफ्रे जैसे लोग हैं. हालांकि, इन दावों में कितनी सच्चाई है कोई नहीं जानता. लेकिन ये बात सच है कि इल्यूमिनाटी नाम का एक संगठन अस्तित्व में जरूर था.


इल्यूमिनाटी की सच्चाई


इल्यूमिनाटी की सच्चाई जानने से पहले आपको एडम वाइसहाप्ट के बारे में जानना होगा. क्योंकि यही वो शख्स थे, जिनकी वजह से इल्यूमिनाटी अस्तित्व में आया. एडम वाइसहाप्ट का जन्म मध्य यूरोप के एक राज्य बवेरिया के एक शहर इंग्लोस्टाड में हुआ था. जन्म से यहूदी एडम वाइसहाप्ट बाद में ईसाई बन गए. धर्म में इनकी रूचि बचपन से थी, इसलिए बड़े होकर एडम इंग्लोस्टाड की यूनिवर्सिटी में धार्मिक कानूनों के प्रोफेसर बन गए.


हालांकि, कुछ समय बाद जब उन्हें लगा कि यूरोप समेत दुनियाभर में धार्मिक क़ानूनों और तौर तरीक़ों में बदलाव होना चाहिए तो उन्होंने इसके लिए आवाज उठाई. लेकिन उनकी कहीं नहीं सुनी गई. जब चीजें उनके हिसाब से नहीं बदल रही थीं, तब उन्होंने फैसला लिया कि अब वो एक ऐसा संगठन बनाएंगे जो धर्म और विज्ञान के मेलजोल से आगे बढ़े और दुनिया में समानता विकसित करने लिए काम करे. यहीं से शुरू हुई इल्यूमिनाटी की कहानी.


कब बना इल्यूमिनाटी


एडम वाइसहाप्ट को पता था कि इस संगठन को मजबूत बनाने के लिए उन्हें ऐसे लोग चाहिए जो इसकी अहमियत को समझें. उन्होंने ऐसे लोगों की तलाश में कई साल बिता दिए. फिर तारीख आई 1 मई 1776. एडम वाइसहाप्ट को चार ऐसे नौजवान मिल गए थे, जो इस संगठन को खड़ा कर सकते थे. फैसला लिया गया कि 1 मई की रात जब चारों ओर घुप अंधेरा होगा तब इंग्लोस्टाड के जंगलों में एक प्रतिज्ञा ली जाएगी और एक खास संगठन की स्थापना होगी. आधी रात को एडम और उनके चार नौजवान साथी इंग्लोस्टाड के जंगलों में पहुंचे.


वहां उन पांचों लोगों ने प्रतिज्ञा ली कि वह अपने इस संगठन के बारे में दुनिया में किसी को पता नहीं चलने देंगे और अपनी पहचान हमेशा गुप्त रखेंगे. इसके साथ ही उन्होंने फैसला किया कि भविष्य में इस संगठन में जो लोग भी शामिल होंगे उनकी उम्र 30 साल से ज्यादा नहीं होगी. इसके बाद इस संगठन का नाम तय हुआ, जिसे आज दुनिया इल्यूमिनाटी के नाम से जानती है.


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