भारत में बहुत से लोग ऐसे हैं जिनका सपना है कि वह अमेरिका जाएं. कई तो इनमें से वहां बसना चाहते हैं. लेकिन अब अमेरिका जाना पहले जितना आसान नहीं रहा है. वहां जाने के लिए कई तरह के इमिग्रेशन नियम और प्रक्रियाएं पूरी करनी पड़ती हैं. जो समय के साथ सख्त होती जा रही हैं. इन्हीं में से एक है वीजा बॉन्ड प्रोग्राम. जिसके बारे में बहुत से लोग जानते भी नहीं. 

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यह प्रोग्राम खास परिस्थितियों में लागू होता है और इसका सीधा असर कुछ श्रेणी के वीजा आवेदकों पर पड़ता है. अगर आप भविष्य में अमेरिका जाने की योजना बना रहे हैं. तो इस प्रोग्राम के बारे में जानना आपके लिए जरूरी है ताकि किसी भी तरह की मुश्किल से बचा जा सके. चलिए आपको बताते हैं इसके बारे में पूरी जानकारी. 

क्या है वीजा बाॅन्ड?

अमेरिकी सरकार ने अब वीजा को लेकर नई नीति शुरू लागू की है. इसे वीजा बाॅन्ड पायलट प्रोग्राम भी कहा जा रहा है.  वीजा बॉन्ड एक तरह की सिक्योरिटी मनी है. जो अमेरिकी सरकार कुछ चुनिंदा वीजा अप्लिकेंट्स से ले सकती है. इसका मकसद यह देखना है कि वीजा लेकर वहां जाने वाला व्यक्ति तय समय से ज्यादा न रुके और सभी नियम माने. इसमें वीजा मिलने से पहले एक तय रकम सरकार के पास जमा करनी होती है. 

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समय पर लौटने और पूरी शर्तें मानने पर पैसा वापस मिल जाता है. अगर ऐसा नहीं होता तो वह जब्त हो सकता है. अभी यह हर किसी पर लागू नहीं है. बल्कि कुछ देशों और हाई-रिस्क माने जाने वाले मामलों में एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाया जा सकता है. इसे इमिग्रेशन नियम सख्त करने की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है.

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वीजा बाॅन्ड में कितने रुपये देने होंगे?

वीजा वर्ल्डबाॅन्डप्रोग्राम के तहत अमेरिका में B-1 यानी बिजनेस, और B-2 यानी टूरिस्ट वीजा लेने वाले मुसाफिरों को अब 5000 डॉलर से लेकर 15000 डॉलर तक यानी तकरीबन 13 लाख भारतीय रुपये तक की सिक्योरिटी मनी जमा करनी होगी. फिलहाल यह नियम किन देशों के लिए लागू किया गया है. इस बारे में जानकारी निकलकर सामने नहीं आई. लेकिन जिस देश के लोग अमेरिका में वीजा लेने के बाद भी ज्यादा समय तक रुक जाते हैं यानी ओवर स्टे करते हैं. आपको बता दें इन देशों की इस लिस्ट में भारत का भी नाम शामिल हो सकता है. 

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