Teachers Day 2025: हमारे देश में शिक्षक को भगवान से भी ऊपर का दर्जा दिया गया है. इसीलिए शिक्षकों के प्रति आदर जताने व गुरु शिष्य के प्रति प्यार जताने के लिए हर साल 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में शिक्षक दिवस मनाया जाता है.
गुरु बिना ज्ञान अधूरा है. मुगल काल के उदाहरण भी यही दिखाते हैं. हुमायूं से लेकर अकबर और उनके उत्तराधिकारियों तक, हर शहजादे के जीवन को उनके गुरु और आचार्य ने दिशा दी. धार्मिक, राजनीतिक, सैन्य और साहित्यिक शिक्षा ने उन्हें न सिर्फ सम्राट बनाया बल्कि उन्हें एक बेहतर इंसान बनने में भी मदद की. चलिए जानें कि मुगल बादशाह अकबर किसे अपना गुरु मानते थे.
हुमायूं और उनके गुरु
मुगल साम्राज्य के दूसरे सम्राट हुमायूं की प्रारंभिक शिक्षा उनके पिता बाबर से शुरू हुई थी. बाबर ने उन्हें फारसी, तुर्की और इतिहास का ज्ञान दिया. धार्मिक शिक्षा के लिए उनके गुरु शेख भुल या शेख बहलुल थे. वहीं, राजनीतिक और सैन्य ज्ञान उन्हें उनके संरक्षक बैरम खान से मिला. यह दिखाता है कि शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होती, बल्कि जीवन के हर पहलू में गुरु का मार्गदर्शन जरूरी होता है.
अकबर के गुरु कौन थे?
अकबर के गुरु की बात करें तो जब हुमायूं की मृत्यु के बाद अकबर ने किशोरावस्था में गद्दी संभाली, तो उनके संरक्षक और राजनीतिक गुरु बैरम खान ही बने. बैरम खान ने उन्हें युद्धकला, राजनीति और व्यावहारिक शिक्षा दी. अकबर बैरम खान को अपना गुरु मानते थे. इसके अलावा मुल्ला असामुद्दीन इब्राहिम अकबर के औपचारिक शिक्षक थे.
जैन गुरु हीराविजय सूरी ने अकबर के जीवन पर गहरा असर डाला. उन्होंने अकबर को जैन दर्शन का ज्ञान दिया और उन्हें शाकाहारी भोजन अपनाने के लिए प्रेरित किया.
अकबर के नवरत्न और उनसे जुड़ी शिक्षा
अकबर का दरबार विद्वानों से भरा हुआ था. उनके दरबार में नवरत्न हुआ करते थे. नवरत्नों में अबुल फजल और फैजी विशेष रूप से शिक्षा और साहित्य से जुड़े हुए थे. अबुल फजल इतिहास और दर्शन के विद्वान थे, जिन्होंने अकबरनामा जैसी कृतियों की रचना की. वहीं, फैजी को अकबर के बेटों की शिक्षा के लिए नियुक्त किया गया था. वे ग्रीक और इस्लामी साहित्य के विद्वान थे और बाद में उनकी प्रतिभा के कारण नवरत्नों में शामिल किए गए थे.
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