चाणक्य राजनीति के गुरू माने जाते थे. आज के समय में भी राजनीति के पंडित उनकी बताई हुई नीतियों को मानते हैं. आचार्य चाणक्य ने ही चंद्रगुप्त मौर्य जैसे महान सम्राट को राजनीति का पाठ पढ़ाया था. चंद्रगुप्त को ये शिक्षा उन्होंने तक्षशिला विश्वविद्यालय में दी थी. जिसे बाद में चंद्रगुप्त मौर्य ने राजधानी में बदल दिया था, लेकिन क्या आपको पता है कि अब वो तक्षशिला कहां है. चलिए आज उसी तक्षशिला के बारे में जानते हैं.


कहां है तक्षशिला?
फिलहाल तक्षशिला पड़ोसी देश पाकिस्तान में है. जब साल 1947 में भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था, उस समय देश में कई रियासतें हुआ करती थीं. तक्षशिला इस बंटवारे में पाकिस्तान के पास चला गया. अब तक्षशिला पाकिस्तान के रावलपिंडी में स्थित है. जो अब रावलपिंडी के बच्चों के लिए क्रिकेट के मैैदान में तब्दील हो चुका है. 


किसके नाम पर रखा गया था तक्षशिला का नाम
कहा जाता है कि तक्षशिला का नाम भगवान राम के बेटे तक्ष के नाम पर रखा गया था. कहानियां ऐसी भी हैं कि अर्जुन के पोते परिक्षित को तक्षशिला में ही राजगद्दी पर बैठाया गया था. जिसे अब जीटी रोड यानी ग्रांड ट्रंक रोड के नाम से जाना जाता है. किसी जमाने में उसे नॉर्दर्न रो़ड के नाम से भी जाना जाता था.


चंद्रगुप्त मौर्य ने यहीं सीखी थी राजनीति
चाणक्य जिन्हें राजनीति और अर्थशास्त्र का पंडित माना जाता है, उन्होंने चाणक्य को तक्षशिला विश्वविद्यालय में ही राजनीति का ज्ञान दिया  था. उस समय तक्षशिला रोड से गंधार और पश्चिम में स्थित मगध और इसकी राजधानी पाटिलीपुत्र से मिलता था. जिसका जिक्र ग्रीक लेखक मैग्स्थनीज द्वारा उनकी किताब रॉयल हाइवे में भी किया गया है. 321-317 बीसी के मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य ने यहां शिक्षा हासिल की थी. चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल के दौरान ही तक्षशिला को राजधानी भी बनाया गया था.                               


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