नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे ने कई परिजनों को उनसे अपनों को छिन लिया है. बता दें कि बीते रात प्रयागराज जाने के लिए अचानक से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की संख्या बढ़ने के बाद ऐसी स्थिति बनी थी. अब सवाल ये है कि क्या रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की संख्या की लिमिट को लेकर भी कोई नियम होता है. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर दर्दनाक हादसा

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में दुनियाभर से लोग पहुंच रहे हैं. इसी क्रम में बीते शनिवार देर रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर करीब 9.45 बजे के आस-पास प्रयागराज स्टेशन जाने के लिए यात्रियों की भीड़ जुटी थी. सभी यात्री अपने-अपने ट्रेनों का इंतजार कर रहे थे. इसी दौरान कुछ लोगों ने कहा कि प्रयागराज जाने वाली ट्रेन प्लेटफॉर्म 14 और 15 पर आ रही है. जिसके बाद अचानक से यात्रियों की भीड़ एक तरफ भागने लगी, जिस कारण भगदड़ मची. इस भगदड़ में अभी तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 10 से अधिक घायल हैं.

क्या है रेलवे का नियम?

अब सवाल ये है कि रेलवे का नियम क्या है? एक बार में रेलवे स्टेशन पर अधिकतम कितने यात्री पहुंच सकते हैं? बता दें कि किसी भी रेलवे स्टेशन पर एक समय में कितने यात्री पहुंच सकते हैं, इसको लेकर कोई सटीक जानकारी नहीं है. लेकिन हां, रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों के संचालन और शहर के मुताबिक उसकी क्षमता तय की जाती है. अगर किसी भी रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की संख्या बढ़ती है, तो रेलवे उन्हें रोकने के लिए स्तवंत्र है. हालांकि इतिहास में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि जब स्टेशन पर क्षमता से अधिक यात्री पहुंचते हैं.

यात्रियों को रोकने के लिए क्या है नियम?

अब सवाल ये है किसी भी स्टेशन पर अगर यात्रियों की संख्या बढ़ती है, तो उसे कैसे रोका जा सकता है? एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर किसी भी स्टेशन पर यात्रियों की संख्या ट्रेनों की कैपसिटी से भी अधिक होती है, तो उस स्थिति में सबसे पहले एसी क्लास और स्लीपर क्लास में रिजर्वेशन वालों को वरीयता दी जाती है. जिसके बाद ट्रेनों में जनरल सीटों की कैपसिटी के मुताबिक लोगों को स्टेशन में आने दिया जाता है. इतना ही नहीं रेलवे काउंटर द्वारा इस दौरान जनरल टिकट देने पर भी रोक लग जाती है. जिससे यात्रियों की संख्या ना बढ़े. खासकर त्योहारों पर आपने देखा होगा कि रेलवे पुलिस जनरल कोच में लोगों को लाइन लगाकर बैठाती है, जिसे भगदड़ जैसी स्थिति ना बने.  

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