दिल्ली में जनता को मिल रही मुफ्त योजनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मुफ्त योजनाओं के कारण जनता काम नहीं कर रही है, जो विकास के लिए चिंताजनक है. अब सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राजधानी दिल्ली में मुफ्त योजनाओं पर रोक लगा सकती है. आज हम आपको इससे जुड़े नियमों के बारे में बताएंगे.

दिल्ली सरकार

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 27 साल बाद वापसी की है. इससे पहले दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी. ये बात हर कोई जानता है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार ने जनता को लुभाने के लिए मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी समेत कई योजनाओं का लाभ दिया था. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इन मुफ्त योजनाओं को लेकर चिंता जाहिर की है.

मुफ्त योजनाओं पर लगेगी रोक?

राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में जारी मुफ्त योजनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए इसे देश का नुकसान बताया है. सुप्रीम कोर्च कोर्ट ये यह भी कहा है कि इन मुफ्त योजनाओं के कारण लोगों के अंदर काम करने की प्रेरणा कम हो रही है. इसके अलावा कोर्ट ने बताया है कि राजधानी दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में जारी मुफ्त योजनाओं से आर्थिक प्रणाली पर दबाव पड़ रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने बताया है कि मुफ्त योजनाओं का असर देश की विकास दर पर भी पड़ रहा है. 

मुफ्त योजनाओं पर कितना होता है खर्च?

देशभर में मुफ्त योजनाओं पर कितने सरकारी पैसे खर्च हो रहे है, अगर आप इसको गिनना शुरू करेंगे तो शायद आप चौंक सकते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में मुफ्त राशन पर तकरीबन 2 लाख करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. वहीं केंद्र सरकार की योजना पीएम क‍िसान योजना के जर‍िए 75000 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं. आप सरकार ने दिल्ली में जिस बिजली और पानी को मुफ्त किया था, उसका देशभर में एक लाख करोड़ से ज्‍यादा खर्च हो रहा है. इतना ही नहीं मुफ्त बसों की सवारी के नाम पर 20 हजार करोड़ से ज्‍यादा का नुकसान हुआ है. सभी राज्यों में महिलाओं के लिए जारी स्‍कीमों पर तीन लाख करोड़ से ज्यादा खर्च हो रहा है. 

सुप्रीम कोर्ट लगा सकती है रोक?

अब सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट इन सभी योजनाओं पर रोक लगा सकती है. इसका जवाब है हां. सुप्रीम कोर्ट देश का सर्वोच्च न्यायालय है. देश की आर्थिक प्रणाली पर दबाव पड़ने और विकास दर में गिरावट को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट सभी सरकारी योजनाओं को रोक सकती है. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को इससे जुड़े कानून बनाने की भी सलाह दे सकती है. संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट देश के हित में किसी भी आदेश को देने लिए स्वतंत्र है.

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