अंतरिक्ष की दुनिया धरती से बिल्कुल अलग है. अंतरिक्ष को लेकर लोगों के मन में लगातार बहुत सारे सवाल होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्पेस में सबसे पहले पेशाब किस अंतरिक्ष यात्री ने किया था, वहीं अंतरिक्ष में टॉयलेट करने को लेकर क्या सुविधा होती है. आखिर क्या टॉयलेट लगने पर एस्ट्रोनॉट्स फ्लोट करते हुए टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं?  


इस अंतरिक्ष यात्री ने कैसे किया टॉयलेट


बता दें कि 19 जनवरी 1961 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने पहला मानवयुक्त मिशन मर्करी रेडस्टोन-3 लॉन्च किया था. इस मिशन पर एलन शेफर्ड स्पेस में जाने वाले पहले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बने थे. ये पूरा मिशन सिर्फ 15 मिनट का था. इसके लिए शेफर्ड को अंतरिक्ष में सिर्फ कुछ ही मिनट बिताने थे. इसलिए इस मिशन में टॉयलेट के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. लेकिन लॉन्च में देरी होने से शेफर्ड को पेशाब लग गई. जिसके बाद उन्होंने मिशन कंट्रोल से पूछा कि क्या वे स्पेस सूट में पेशाब कर सकते हैं. मिशन कंट्रोल ने इसके लिए परमिशन दे दी. इसके बाद शेफर्ड भीगे कपड़ों में ही अंतरिक्ष यात्रा करके वापस लौटे थे. इसके बाद वे 1971 में अपोलो-14 मिशन में चांद पर भी गए थे. 


स्पेस में टॉयलेट को लेकर क्या सुविधा ?


1961 मिशन के कुछ सालों बाद स्पेस में जाने वाले यात्रियों के लिए कंडोम की तरह दिखने वाला पाउच बनाया गया था. लेकिन अंतरिक्ष में ये फट जाता था, हालांकि बाद में जब इसका साइज बढ़ाया गया तो ये काम लायक बना था. वहीं शौच के लिए यात्रियों को पीछे की तरफ एक बैग चिपकाकर रखना पड़ता था. शुरूआती दिनों में इससे काम चला लेकिन अंतरिक्ष यात्री इसकी गंध से परेशान रहते थे. 


महिलाओं के लिए क्या सुविधा ?


1980 में जब नासा ने महिलाओं को स्पेस में भेजना शुरू किया, उसके बाद टॉयलेट की सुविधा बेहतर हुई थी. इसके लिए नासा ने मैग्जिमम एब्जॉर्बेंसी गार्मेंट) बनाया था. दरअसल यह एक तरह का डायपर था. इसे पुरुष एस्ट्रानॉट भी उपयोग करते थे. बता दें कि इस डायपर का इस्तेमाल पहली अमेरिकी महिला अंतरिक्ष यात्री सैली क्रस्टेन राइड ने 1983 में किया था. 


जीरो-ग्रैविटी टॉयलेट


अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने जीरो-ग्रैविटी टॉयलेट बनाया था. इसमें एस्ट्रोनॉट को पॉली करने के लिए पीछे बैग नहीं बांधना पड़ता था. बता दें कि अंतरिक्ष में मल-मूत्र खुद से बाहर नहीं आता है. इसके लिए एस्ट्रोनॉट एक विशेष तरीके का ग्लव्स हाथ में पहनकर उसकी मदद से मल को बाहर खींचकर जीरो-ग्रैविटी टॉयलेट में डालते हैं. इसके बाद उसमें लगा पंखा उसे खींचकर एक कंटेनर में डाल देता है. 


अभी स्पेसक्राफ्ट में टॉयलेट को लेकर क्या सुविधा?


बता दें कि अभी भी स्पेसक्राफ्ट में जीरो-ग्रैविटी टॉयलेट का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि अब जमा पेशाब को वाटर रिसाइक्लिंग यूनिट से साफ करके पीने योग्य पानी में बदल दिया जाता है. वहीं मल को कंप्रेस करके डंप कर दिया जाता है.  


 


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