दुनिया में यौन शोषण का शिकार हुए बच्चों की सबसे ज्यादा संख्या भारत में है और उसमें से भी दिल्ली के आंकड़े तो हैरान करने वाले हैं. इस साल शहर में औसतन हर दिन पांच लोगों को बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न या यौन दुर्व्यवहार के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. जबकि यौन अपराधों के लिए बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पोक्सो एक्ट) के तहत प्रतिदिन चार मामले दर्ज किए गए हैं. पुलिस की जांच में पता चला है कि ज्यादातर मामलों में आरोपी पीड़ितों के परिचित थे, जो अक्सर परिवार के सदस्य या पड़ोसी होते थे. पुलिस का यह भी कहना है कि कुछ परिवार सामाजिक कलंक के डर से या आरोपी से परिचित होने के कारण शिकायत दर्ज करने में झिझकते हैं, इसीलिए अपराधियों के हौसले आसमान छू रहे हैं.
बच्चियों को अपनों से ज्यादा खतरा
दिल्ली पुलिस के आंकड़ों की मानें तो इस साल मई तक बाल यौन शोषण के 543 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें 697 गिरफ्तारियां हुईं और इनमें से 508 मामले सुलझा लिए गएहैं. इन घटनाओं में ज्यादातर केस रेप, मॉलेस्टेशन और छेड़छाड़ के थे. पुलिस ने बताया कि अपराधी ऐसी घटनाओं को अंजाम देने पहले बच्चों को बहलाते-फुसलाते हैं और फिर अपराध करते हैं. कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें वे नाबालिगों को झूठे बहाने से दूसरी जगह पर ले जाकर कांड करते हैं. दिल्ली पुलिस के अधिकारी की मानें तो ऐसा करने वालों में आरोपी या तो पीड़ित के परिवार के साथ रहते थे या फिर उन्हें अच्छी तरह से जानते थे. इस वजह से उनके घरों और निजी स्थानों तक उनकी आसानी से पहुंच हो जाती थी और परिवार वालों को उन पर तुरंत संदेह भी नहीं होता था.
लोक लाज के डर से परिवार नहीं करते पुलिस में शिकायत
दिल्ली पुलिस का कहना है कि ऐसे मामलों में जांचें सबसे ज्यादा चैलेंजिंग तब हो जाती हैं, जब बच्चे ज्यादा छोटे होते हैं. 10 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे तो खुद के बयान दे सकते हैं, लेकिन जो बच्चे 4-5 साल के होते हैं, उनके मामलों में दिक्कतें आती हैं. इसके अलावा बड़ी चुनौती तब उत्पन्न होती है जब परिवार अपराध की रिपोर्ट करने के बाद शिकायतें वापस लेते हैं. ऐसा वे अक्सर सामाजिक कलंक के कारण, कथित सम्मान की वजह से करते हैं क्योंकि अभियुक्त उनका रिश्तेदार होता है.
सोशल मीडिया पर भी असुरक्षित हैं बच्चे
पुलिस ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर भी नाबालिग भी असुरक्षित हैं. कई ऐसे मामले हैं जहां अज्ञात व्यक्ति बच्चों से ऑनलाइन दोस्ती करते हैं और धोखे से या फिर हेरफेर करके उनके प्राइवेट फोटो या वीडियो ले लेते हैं. इसके बाद इन बच्चों को ब्लैकमेल किया जाता है और फिर यौन अपराध जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है.
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