समुद्र की गहरी अंधेरी लहरों के नीचे एक ऐसा हथियार तैर रहा है, जिसे रूस ने खुद ‘कयामत का टॉरपीडो’ कहा है. पुतिन ने हाल ही में पोसाइडन का सफल परीक्षण किया और दावा किया कि यह न केवल न्यूक्लियर पावर से चलता है, बल्कि इसे रोकना लगभग नामुमकिन है. विशेषज्ञों का कहना है, अगर यह सच में वैसा है जैसा रूस बता रहा है, तो दुनिया की तटरेखा और बड़े बंदरगाह के नक्शे एक रात में बदल सकते हैं. आइए जानें कि क्या यह सिर्फ एक ताकत दिखाने की रणनीति है या सच में वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है? और इस हथियार की जद में कितने देश हैं.

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क्या है पोसाइडन? 

सरल शब्दों में कहें तो यह एक परमाणु-शक्ति से चलने वाला, ऑटोमेटिक पानी के तले का ड्रोन/टॉरपीडो है. जो कि लम्बाई में बड़े टॉरपीडो जैसा, अंदर छोटे नाभिकीय रिएक्टर के साथ मौजूद है. रूस ने इसे Status-6 या Kanyon के नाम से भी विकसित किया. यह सतह से छुपकर हजारों किलोमीटर तक खुद को आगे बढ़ा सकता है और बड़े वारहेड ले जा सकता है. 

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कितना खतरनाक है यह हथियार? 

रूस का दावा है कि इसका न्यूक्लियर पावर-यूनिट अनंत रेंज और भारी यील्ड का वादा करता है. मीडिया रिपोर्टों में 2 मेगाटन तक के अनुमान भी सामने आए हैं, लेकिन कई विशेषज्ञ कहते हैं कि विस्फोट से बनने वाली रेडियोएक्टिव सुनामी और कोबाल्ट-नमक वाले ‘डर्टी बम’ जैसी बातें तकनीकी रूप से जटिल और अभी अटकलों पर टिकी हैं. कुछ दावों की स्वतंत्र पुष्टि मौजूद नहीं है. यानी खतरा वास्तविक है, पर पैमाना और असर पर बहस जारी है.

कौन से देश हैं इसके दायरे में? 

रिपोर्ट्स की मानें तो यदि यह पनडुब्बी-लॉन्चेड ड्रोन महाद्वीपीय दूरी तय कर सके तो बड़े तटीय शहर जैसे- अमेरिका के पूर्व और पश्चिमी तट, यूरोप के तटीय हिस्से, जापान, दक्षिण कोरिया और चीन समेत कई इलाके सैद्धांतिक रूप से इस हथियार की पहुंच में आ सकते हैं. कुल मिलाकर 80% तटीय शहर इसकी रेंज में आते हैं. पुरानी रिपोर्टों की मानें तो रूस 30 ऐसे उपकरण बनाना चाहता है, लेकिन यह संख्या, तैनाती और वास्तविक क्षमताएं वक्त के साथ बदल सकती हैं. 

इसे ट्रैक करना कितना मुश्किल? 

तेज रफ्तार, गहरी डाइव और छोटे रिएक्टर-आधारित पावर के कारण इसे पकड़ना चुनौती है, फिर भी एन्टी-सबसरफेस तकनीकें, पाइन-पाइप सैटेलाइट ट्रैकिंग और आधुनिक सोनार सिस्टम लगातार विकसित हो रहे हैं. 

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