Rahul Gandhi Press Conference: कांग्रेस नेता राहुल गांधी बीजेपी को वोट चोरी के मुद्दे पर घेर रहे हैं और उन्होंने कहा है कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि कर्नाटक में अलंद के निर्वाचन क्षेत्र से कई लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काट दिए गए हैं. राहुल गांधी का कहना है कि मुख्य चुनाव आयुक्त वोट चोरों की रक्षा कर रहे हैं. राहुल गांधी के इस दावे के बीच सबसे पहले तो यह जान लीजिए क्या चुनाव आयोग बिना बताए किसी का भी नाम वोटर लिस्ट से काट या जोड़ सकता है? इसको लेकर क्या नियम है?

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क्या है स्पीकिंग ऑर्डर

हाल ही में जब बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया चल रही थी, करीब उस वक्त से चुनाव आयोग पर यह आरोप लग रहा है कि आयोग बिना किसी नोटिस के किसी भी मतदाता का नाम वोटर लिस्ट से काट देता है, जिसको लेकर चुनाव आयोग ने इस मामले पर जवाब दिया था. चुनाव आयोग ने बताया था कि स्पीकिंग ऑर्डर एक लिखित आदेश होता है, जिसमें विस्तार से यह बताया जाता है कि किसी मतदाता का नाम सूची से क्यों हटाया जा रहा है. 

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यह आदेश केवल निर्णय नहीं, बल्कि उसके पीछे की वजह और आधार भी स्पष्ट करता है. निर्वाचन अधिकारी या सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी ही ऐसा आदेश जारी कर सकते हैं.

बिना नोटिस अब संभव नहीं

आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी भी मतदाता सूची के किसी भी नाम में संशोधन तभी होगा जब मतदाता को पहले नोटिस जारी किया जाए. उसके बाद संबंधित अधिकारी स्पीकिंग ऑर्डर जारी कर नाम काटने या बनाए रखने का फैसला करेंगे. 

पहले के दौर में बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) कई बार मनमाने तरीके से लोगों के नाम काट देते थे. मतदाताओं को इस प्रक्रिया की जानकारी तक नहीं होती थी और चुनाव के दिन अचानक पता चलता था कि उनका नाम सूची से गायब है. ऐसे मामलों से चुनावी गड़बड़ियां और विरोध की स्थितियां पैदा होती थीं. लेकिन अब ऐसा संभव नहीं है. किसी का भी नाम काटने से पहले उसको नोटिस दिए जानें का नियम है. 

नई व्यवस्था का महत्व

इस नियम से मतदाताओं को न केवल अपने अधिकार की सुरक्षा मिलेगी, बल्कि उन्हें निर्णय की वजह भी साफ तौर पर पता चलेगी. इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और चुनावी प्रक्रिया पर लोगों का भरोसा मजबूत होगा.

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