देश के जेलों में लाखों कैदी सजा काट रहे हैं. इनमें से बहुत कैदियों की हर साल प्राकृतिक मौत भी होती है. अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत की जेलों में बंद कितने कैदियों की हर साल मौत होती है. आज हम आपको बताएँगे कि कितने कैदियों की जेल में आत्महत्या समेत प्राकृतिक मौत होती है.  


कितने कैदियों की हुई मौत


देशभर की जेलों में 2017 से 2021 के बीच 817 कैदियों की अप्राकृतिक मौत हुई हैं. जिसमें आत्महत्या करने वाले कैदियों की संख्या ज्यादा है. आंकड़ों के मुताबिक जेल में होने वाली मौतों की संख्या में 2019 के बाद से लगातार वृद्धि देखी गई है. 2021 में अब तक सबसे अधिक मौतें आत्महत्या (80 प्रतिशत) के रूप में ही दर्ज हैं. 


क्या कहते हैं आंकड़ें? 


राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा हर साल प्रकाशित की जाने वाली प्रिज़न स्टैटिस्टिक्स इंडिया रिपोर्ट में जेल में होने वाली मौतों को प्राकृतिक या अप्राकृतिक बताया गया है. रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस (सेवानिवृत्त) अमिताव राय की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि 817 अस्वाभाविक मौतों में से 660 आत्महत्याएं थीं. वहीं इस अवधि के दौरान उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 101 आत्महत्याएं दर्ज हुई हैं. आंकडों के मुताबिक पांच वर्षों यानी वर्ष 2017 से 2021 के दौरान उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक आत्महत्याओं के बाद पंजाब और बंगाल राज्य हैं. जहां पंजाब 63 और बंगाल में 60 कैदियों ने आत्महत्या की है.


राजधानी दिल्ली के जेल


केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली में 2017-2021 के दौरान जेल में 40 आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं. वहीं इन पांच वर्षों में वृद्धावस्था के कारण 462 मौतें हुई और बीमारी के कारण 7,736 कैदियों की मौत हुई हैं. 2017-2021 के बीच भारत की जेलों में कुल 817 अप्राकृतिक मौतें हुई, जिनमें 660 आत्महत्याएं और 41 हत्याएं थी. इस अवधि में 46 मौतें आकस्मिक मौतों से संबंधित थी, जबकि सात कैदियों की मौत बाहरी तत्वों के हमले और जेल कर्मियों की लापरवाही के कारण हुई थी. 


 


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