आज के वक्त अधिकांश लोग समय बचाने के लिए विमान से जाना पसंद करते हैं. इस दौरान आपने कई बार एयरपोर्ट पर देखा होगा कि फ्लाइट टेकऑफ करने से पहले उसमें फ्यूल भरा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि फ्लाइट में कभी भी बहुत ज्यादा फ्यूल नहीं भरा जाता है. आखिर क्यों फुल टैंक के साथ विमान लैंड क्यों नहीं करता है.


फ्लाइट में फ्यूल टैंक


फ्लाइट में फ्यूल को लेकर एव‍िएशन एक्‍सपर्ट ने बताया क‍ि विमानों के ईंधन से भरे टैंक के साथ लैंड नहूं कराने के पीछे मुख्‍य कारण इसका वजन है. उन्होंने बताया कि हर जहाज का मैक्‍स‍िमम टेकऑफ वेट (MTOW) और मैक्‍स‍िमम लैंडिंग वेट (MLW) होता है. वहीं यह प्‍लेन की डिजाइन पर निर्धार‍ित होता है. टेकऑफ वेट वो अध‍िकतम वजन है, ज‍िसके साथ एक हवाई जहाज सुरक्ष‍ित रूप से जमीन से ऊपर उठ सकता है. जबक‍ि लैंडिंग वेट वो वजन है, ज‍िसके साथ कोई प्‍लेन सुरक्षि‍त रूप से जमीन पर उतर सकता है.


लैंड‍िंग के वक्‍त अध‍िक तनाव


बता दें कि आमतौर पर मैक्‍स‍िमम लैंडिंग वेट, मैक्‍स‍िमम टेकऑफ वेट से कम होता है. क्‍योंक‍ि हवाई जहाज पर लैंड‍िंग के वक्‍त अध‍िक तनाव होता है. इस दौरान अगर वजन ज्‍यादा होगा तो हवाई जहाज को नुकसान पहुंच सकता है. इतना ही नहीं उसके पंख झुक सकते हैं, उसकी धड़ टूट सकती है. इसके अलावा फ‍िर लैंडिंग ग‍ियर को नुकसान पहुंच सकता है. वहीं हवाई जहाज में ईंधन का वजन काफी ज्‍यादा होता है. बोइंग में 1.30 लाख क‍िलो ईंधन एक बार में भरा जाता है. इसके अलावा अगर इतने वजन के साथ वह उतरेगा, तो इसका वजन गुरुत्‍वाकर्षण की वजह से और भी ज्‍यादा हो जाएगा. लैंडिग के दौरान यह विमान के ल‍िए काफी खतरनाक साबित हो सकता है.


जानकारी के मुताबिक विमान को लैंड कराते समय सबसे पहले प्‍लेन कंट्रोल‍िंग यूनिट ईंधर, पेलोड, मौसम और भंडार जैसे कारकों की गणना होती है. इसके बाद कई बार कुछ ईंधन जला दिया जाता है, ताक‍ि हवाई जहाज का वजन एमएलडब्ल्यू से कम हो जाए हालांकि कई बार ये संभव नहीं होता है. ऐसी स्‍थ‍ित‍ि में ईंधन डंपिंग की जाती है. व‍िमान में से ईंधन को निकाला जाता है. बता दें कि ईंधन डंपिंग एक ऐसा प्रॉसेस है, जो हवाई जहाज को अपना कुछ ईंधन हवा में छोड़ने की अनुमति देता है. जानकारी के मुताबिक ये आमतौर पर बड़े हवाई जहाजों द्वारा किया जाता है. इसके अलावा छोटे हवाई जहाजों में तो वैसे भी ईंधन काफी कम रखा जाता है, जिससे ऐसी स्थिति ना बन सके. 


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