गर्मी आने के साथ ही मच्छरों का आतंक शुरू हो चुका है. खासकर बरसात के दिनों में मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां भी बढ़ जाती हैं. इनसे मलेरिया और डेंगू चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू और ज़ीका वायरस जैसी नई बीमारियां का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मच्छर के बारे में बताने वाले हैं, जिसका साइज कॉकरोच से भी बड़ा है. हां आपको सुनकर ये थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन ये सच है. जानिए किस देश में ये मच्छर मिला है.  


चाइनीज मच्छर


गर्मी आने के साथ ही मच्छरों का आतंक चौतरफा शुरू हो जाता है. हर जगह पर पाए जाने वाले मच्छर अक्सर बहुत छोटे दिखते हैं,लेकिन पिछले साल चीन में एक बहुत बड़ा मच्छर दिखा है. दरअसल सामान्य तौर पर मच्छरों का आकार जहां 3 से 6 मिमी तक ही होता है, वहीं इस विशाल मच्छर का आकार 11.15 सेंटीमीटर यानि लगभग 4.5 इंच है. ये अभी तक का पाया जाने वाला सबसे बड़ा मच्छर है. 


बता दें कि यह मच्छर चीन के सिचुआन प्रांत में पाया गया था. इसे दुनिया का सबसे बड़ा मच्छर माना जा रहा है. इस मच्छर को पश्चिम चीन के कीट संग्रहालय 'इंसेक्ट म्यूजियम ऑफ वेस्ट चाइना' के क्यूरेटर झाओ ने पिछले साल अगस्त में चेंगदू के माउंट किंगिंचेंग की यात्रा के दौरान खोजा था.


इस मच्छर का जीवन बहुत कम


झाओ ली के मुताबिक इस मच्छर का संबंध दुनिया की सबसे लंबी मच्छर की प्रजाति 'होलोरूसिया मिकादो' से है. यह प्रजाति पहली बार जापान में पाई गई थी, जिसका आकार आठ सेंटीमीटर था. इसे 'होलोरूसिया मिकादो' नाम ब्रिटिश कीट विज्ञानी जॉन ओब्दैयाह वेस्टवुड ने 1876 में दिया था. झाओ ली के मुताबिक इस प्रजाति के मच्छरों का शरीर इतना बड़ा होता है कि ये ठीक से उड़ भी नहीं पाते हैं. इसके अलावा ये मच्छर ज्यादातर उन इलाकों में मौजूद होते हैं, जहां कई पेड़-पौधों होते है. हालांकि इस प्रजाति के वयस्क मच्छरों का जीवन कुछ ही दिन का होता है. 



जानकारी के मुताबिक चीन में इस प्रजाति के मच्छर सिचुआन के पश्चिमी हिस्सों में मुख्य रूप से चेंगदू के मैदानी इलाकों में और 2200 मीटर से नीचे पर्वतीय इलाकों में मिलते हैं. इन्हें क्रेन फ्लाई भी कहा जाता है. ली के मुताबिक ये मच्छर दिखने में भले ही खतरनाक लगते हैं, लेकिन ये बिल्कुल जहरीले और खतरनाक नहीं होते हैं. इसके अलावा ये इंसानों और जानवरों का खून नहीं चूसते बल्कि फूलों के रस का सेवन करते हैं. गौरतलब है कि दुनिया भर में मच्छरों की तीन हजार से ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं, जिनमें सिर्फ 100 प्रजातियां ही ऐसी हैं, जो खून पीकर जिंदा रहती हैं. 


 


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