सरकार ने बुधवार को लोकसभा में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक पेश कर दिया है. बुधवार को पीएम, सीएम को पद से हटाने से संबंधित तीन विधेयकों को लोकसभा में पेश कर दिया गया. विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच अमित शाह ने इन विधेयकों को पेश किया. चलिए जानते हैं कि क्या संसद में बिल पास होते ही जेल जाने वाले सांसदों और विधायकों की भी चली जाएगी सदस्यता? जान लीजिए नए विधेयक में क्या है.

क्या कहते हैं नए विधेयक?

इन विधेयकों के अनुसार, अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी ऐसे अपराध में गिरफ्तार होता है. जिसमें कम से कम पांच साल की सजा हो सकती है और वह लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहता है तो उसे 31वें दिन स्वतः पद से हटा दिया जाएगा. यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 75 (प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों), अनुच्छेद 164 (राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों) और अनुच्छेद 239AA (केंद्र शासित प्रदेशों) में संशोधन के माध्यम से लागू होगा.

सांसदों और विधायकों की सदस्यता पर असर पड़ेगा? बता दें कि ये विधेयक केवल मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री जैसे पदों पर लागू होते हैं ना कि सामान्य सांसदों या विधायकों पर. नए विधेयकों में सांसदों और विधायकों की सदस्यता को रद्द करने का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है. इसका मतलब है कि जेल जाने वाले सांसदों और विधायकों की सदस्यता तुरंत नहीं जाएगी, जब तक कि उन्हें अदालत द्वारा दोषी ठहराया न जाए और सजा दो साल से अधिक की न हो.  नया नियम क्यों जरूरी? प्रस्तावित संशोधन का उद्देश्य सरकार में ईमानदारी और विश्वसनीयता को बढ़ाना है.  कई बार गंभीर आरोपों के बावजूद नेता पद पर बने रहते हैं, जिससे जनता का विश्वास डगमगाता है. यह नियम सुनिश्चित करेगा कि गंभीर अपराधों में लिप्त व्यक्ति सरकार का नेतृत्व न करें. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि अगर कोई व्यक्ति बाद में निर्दोष साबित होता है तो उसे दोबारा मौका मिले.

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