दुनिया का सबसे महंगा स्टोन? इस सवाल के जवाब में अधिकांश लोग बोलेंगे डायमंड. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे महंगा स्टोन डायमंड नहीं बल्कि सबसे दुलर्भ खनिज पेनाइट है. आज हम आपको बताएंगे कि ये स्टोन कहां मौजूद है और इसकी कीमत कितनी होती है. जानिए पेनाइट से जुड़े सभी जवाब. 


धरती पर खनिज


जानकारी के मुताबिक धरती पर लगभग हर जगह खनिज हैं. अमेरिका की जियोलॉजिकल सोसायटी के मुताबिक खनिज प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाला यौगिक होते हैं जो अकार्बनिक होते हैं. इसका अर्थ है कि उनमें कार्बन नहीं होता है. वहीं हर एक मिनरल की अपनी विशेष रासायनिक संरचना होती है. इसके अलावा हर एक मिनरल की क्रिस्टल क्वालिटी से लेकर अन्य गुण में अंतर हो सकता है. 


सबसे दुलर्भ मिनरल


लेकिन क्या आपको पता है कि धरती पर मिलने वाला सबसे दुर्लभ मिनरल कौन सा है? पृथ्वी पर मौजूद सबसे दुर्लभ खनिज का नाम क्यावथुइट है. अब तक इसका सिर्फ एक क्रिस्टल म्यांमार में मिला है. कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के खनिज डेटाबेस के मुताबिक यह एक छोटा गहरे नारंगी रंग का रत्न है. अंतर्राष्ट्रीय खनिज संघ ने इसे 2015 में मान्यता दी थी. क्यावथुइट के बारे में बहुत कम जानकारी है. 


पेनाइट


 वहीं दुनिया के दूसरे दुर्लभ खनिज का नाम पेनाइट है. पेनाइट गहरे लाल रंग का हेक्सागोनल क्रिस्टल होता है. हालांकि अपवाद के तौर पर कई बार यह गुलाबी भी मिलता है. पहले कि तुलना में अब पेनाइट ज्यादा आसानी से मिल जाता है, लेकिन फिर भी यह दुर्लभ है. 


 पेनाइट कहां मिला?


1952 में रत्न संग्राहक और डीलर आर्थर पेन ने म्यांमार में दो क्रिस्टल खोजे थे. ये देखने में माणिक की तरह लग रहे थे, लेकिन असल में यह उससे कुछ ज्यादा दुर्लभ थे. पेनाइट का नाम आर्थर पेन के नाम पर ही है. जानकारी के मुताबिक रूबी और अन्य रत्नों के साथ पेनाइट मिला था, जिस कारण पेन को लगा कि यह रूबी ही है. उन्होंने आगे की स्टडी के लिए ब्रिटिश म्यूजियम को इसे 1954 में दान दे दिया था. पेनाइट का दूसरा सैंपल म्यांमार में 1979 और तीसरा सैंपल 2001 में म्यांमार में मिला था. बता दें कि पेनाइट के पूरी दुनिया में यही तीन सैंपल हैं.


म्यांमार में दुर्लभ खनिज


आपने कई बार सुना होगा कि लगभग अधिकांश दुर्लभ खनिज म्यांमार में मिलते हैं. लेकिन सवाल ये है कि म्यांमार में ही यह रत्न क्यों मिल रहे हैं? कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में मिनरलोलॉजी के प्रोफेसर जॉर्ज रॉसमैन ने इससे जुड़ा अंदाजा लगाया है. उन्होंने कहा कि 18 करोड़ साल पहल गोंडवाना का प्राचीन सुपरमहाद्वीप जब टूटना शुरू हुआ हुआ था, तो भारत उत्तर की ओर खिसक गया था और दक्षिण एशिया से टकरा गया था. टक्कर के दबाव से गर्मी ने चट्टानों में खजाना पैदा किया, जिसमें कई रत्न भी शामिल हैं. 


 


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