पहलगाम आतंकी हमले को लेकर बीते दिन दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई. इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी समेत तमाम बड़े नेता मौजूद रहे. इस दौरान सभी नेताओं ने पाकिस्तान के खिलाफ सरकार के कदम का समर्थन किया. इस दौरान सरकार ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति रहेगी. पीएम मोदी की ओर से उठाए गए कदम को लेकर सभी विपक्षी नेता एकजुट हैं और उनका कहना है कि सरकार जो भी कदम उठाएगी, हम उसमें उनका फुल सपोर्ट करेंगे. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब पहलगाम हमले पर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है. आइए जानें कि इससे पहले कब-कब बैठक बुलाई गई.
सर्वदलीय बैठक में विपक्ष का रोल
सर्वदलीय बैठक सिर्फ पहलगाम हमले के वक्त ही नहीं बुलाई गई है, बल्कि देश में जब भी कोई युद्ध जैसी स्थिति होती है या फिर किसी तरह का कोई हमला हो जाता है तो उसके बाद सभी पार्टियों की बात सुनने के लिए, हमले के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले सभी पार्टियों के बड़े नेताओं को सरकार बुलाती है. उनसे उनकी राय जानी जाती है. विपक्ष के लोग सरकार से सवाल करते हैं तो प्रवक्ता उनके सवालों का जवाब भी देते हैं. इसके अलावा सरकार बताती है कि वो हमला करने वालों पर किस तरीके की कार्रवाई करने जा रही है.
सरकार से पूछ सकते हैं सवाल
सरकार की इस बात से अगर विपक्ष सहमत होता है तो वह हामी भरता है. अगर विपक्ष सहमत नहीं होता है तो उसे सरकार के समक्ष अपनी राय रखने का अधिकार होता है कि अगर गर्वनमेंट ने ऐसा कदम उठाया तो कितना नुकसान झेलना पड़ सकता है. ऐसी मुसीबत के वक्त सरकार को क्या फैसले लेने चाहिए. या जो फैसले सरकार लेने जा रही है उनसे क्या नतीजे निकल सकते हैं. पूर्व में जिन पार्टियों की सरकारें रही हैं उनके नेता अपने अनुभव के आधार पर सरकार चलाने वालों को राय दे सकते हैं.
कब बुलाई गई सर्वदलीय बैठक
आमतौर पर सर्वदलीय बैठक तब बुलाई जाती है जैसे संसद पर हमला हुआ था, इसके बाद इस बैठक का आयोजन हुआ था. कारगिल वॉर के दौरान भी सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी. या फिर किसी युद्ध जैसी परिस्थिति के दौरान सभी बड़ी पार्टियों के नेताओं को बुलाकर मौजूदा सरकार उनका राय मशवरा लेती है.
यह भी पढ़ें: छुट्टी के दौरान मौत होने पर क्या जवानों को शहीद का दर्जा मिलता है? जान लीजिए जवाब