दिल्ली में आरएसएस के शताब्दी वर्ष पर तीन दिन का बड़ा कार्यक्रम हुआ. आखिरी दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या पर अपने विचार रखे. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जनसंख्या किसी देश के लिए बोझ भी हो सकती है और अवसर भी. अब यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम इसे कैसे संभालते हैं. उन्होंने एक और अहम बात कही. मोहन भागवत ने कहा कि अगर किसी समाज में परिवारों के बच्चों की संख्या तीन से कम हो तो धीरे-धीरे उस समाज का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाता है. 

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यानी आबादी नियंत्रण के साथ-साथ इतनी जनसंख्या भी जरूरी है, जो समाज और देश को संतुलन में रख सके. अब यहां यह समझने की जरूरत है कि अगर हर आदमी तीन बच्चे पैदा करने लग जाए तो आखिर देश की जनसंख्या कितनी हो जाएगी और असल में देश में फर्टिलिटी रेट क्या है? चलिए इसे समझते हैं.

भारत की जनसंख्या

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भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन चुका है. चीन को पीछे छोड़कर अब भारत की जनसंख्या इस वक्त 1.43 अरब से ज्यादा हो गई है. ऐसे में जब कभी भी देश में तीन बच्चों की बात होती है, तो यह सवाल उठना लाजमी है कि इसका असर भारत की आबादी पर क्या हो सकता है. दरअसल, आबादी के बढ़ने या घटने का पैमाना फर्टिलिटी रेट से मापा जाता है. फर्टिलिटी रेट का मतलब है कि एक महिला अपने जीवनकाल में औसतन कितने बच्चों को जन्म देती है.

देश में कितना है फर्टिलिटी रेट

भारत में फर्टिलिटी रेट पहले बहुत ज्यादा हुआ करती थी. 1950 के दशक में एक महिला औसतन चार से पांच बच्चे पैदा करती थी. लेकिन समय के साथ यह संख्या धीरे-धीरे कम होती चली गई. ताजा आंकड़ों की मानें तो भारत की फर्टिलिटी रेट लगभग 2.0 पर आ चुकी है. इसे समझने का आसान तरीका यह है कि अगर फर्टिलिटी रेट 2.1 से नीचे आ जाए तो माना जाता है कि आबादी अब तेजी से नहीं बढ़ेगी, बल्कि धीरे-धीरे स्थिर होने लगेगी. इस वक्त भारत में यही स्थिति है.

तीन बच्चों के बाद क्या हो सकते हैं हालात

अगर फिर तीन बच्चों की सोच लोगों के बीच आम हो जाती है, तो फर्टिलिटी रेट 2.1 के ऊपर पहुंच जाएगी. ऐसा होते ही आबादी की रफ्तार दोबारा बढ़ने लगेगी. इसका सीधा असर देश के संसाधनों पर पड़ेगा. पहले से ही शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में दबाव बहुत ज्यादा है, ऐसे में अगर आबादी और बढ़ गई तो हालात और मुश्किल हो सकते हैं. इस वक्त दक्षिण भारत के कई राज्य जैसे केरल और तमिलनाडु में फर्टिलिटी रेट 1.6 से 1.7 तक पहुंच चुकी है. यानी वहां की आबादी स्थिर हो गई है, बल्कि आने वाले समय में घट भी सकती है.

कौन से राज्य बढ़ा रहे जनसंख्या

इसके उलट, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में फर्टिलिटी रेट अभी भी ज्यादा है. अगर बिहार का आंकड़ा देखें तो वहां यह लगभग 2.9 और उत्तर प्रदेश में करीब 2.4 है. यही वे राज्य हैं जो भारत की कुल जनसंख्या को आगे बढ़ा रहे हैं. बड़े शहरों में अब लोग एक या दो बच्चों की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसे में अगर फिर से बड़े पैमाने पर तीन बच्चों का ट्रेंड शुरू हुआ, तो जनसंख्या का दबाव एक बार फिर से तेजी से बढ़ेगा और फिर से जनसंख्या बोझ बन सकती है.

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