कांग्रेस के बड़े नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी इन दिनों बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ पर हैं. इसी अभियान के तहत कांग्रेस और उनके सहयोगी दल राजनीतिक सभाएं कर रहे हैं. इसी क्रम में दरभंगा में एक स्थानीय नेता की जनसभा के दौरान राजनीतिक मर्यादाएं टूट गईं. सभा के दौरान बीच मंच से रिजवी उर्फ राजा नाम के शख्स ने सारी मर्यादाएं तोड़ते हुए माइक पर पीएम मोदी को सरेआम मां की गाली दे डाली. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.
अब सवाल यह है कि क्या आज के समय में राजनीति का नया परिचय यही है कि प्रधानमंत्री और संवैधानिक संस्थाओं पर निशाना साधने के लिए सीधी बहस या तर्क नहीं, बल्कि अब अपशब्द और गाली-गलौच ही हथियार होंगे? खैर इसी बीच पहले यह जान लीजिए कि पीएम को गाली देने या उनके खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने पर आखिर कितनी सजा मिलती है और इसके लिए क्या कानून है?
ऐसे मामलों में क्या कहता है संविधान?
भारतीय संविधान कहता है कि न्याय के सामने सभी नागरिक बराबर हैं. किसी को भी अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन अगर किसी की बात से कोई आहत होता है, तो वह इंसान उस शख्स पर मानहानि का केस कर सकता है. वहीं प्रधानमंत्री के मामले में यह और गंभीर अपराध की श्रेणी में आ जाता है. पीएम खुद केस नहीं करते, लेकिन उनकी ओर से न्याय प्रणाली में से या प्रशासन कार्रवाई कर सकता है, क्योंकि वे सिर्फ व्यक्ति नहीं बल्कि पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं.
कब हो सकती है कार्रवाई?
- अगर कोई पब्लिक मंच या सोशल मीडिया पर पीएम के लिए अपशब्द बोलता है.
- अगर कोई पोस्ट, कार्टून या कंटेंट उनकी इज्जत को ठेस पहुंचाता है.
- अगर किसी के बयान से समाज में नफरत या हिंसा फैलने का खतरा हो.
BNS की कौन-कौन सी धाराएं लग सकती हैं
धारा 356- मानहानि
कुछ भी बोलकर, लिखकर, इशारे से या किसी भी मीडिया के जरिए किसी की छवि खराब करना अपराध है. इसके लिए उस शख्स को दो साल की जेल, जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं.
धारा 352- गाली-गलौच या अभद्र भाषा
पीएम को पब्लिक प्लेस पर गाली देना या उनके खिलाफ अभद्र हरकत करना भी घोर अपराध है. इस केस में पीएम को सरेआम मंच से गाली दी गई है. ऐसे मामले में सजा तीन महीने की जेल, जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं. अगर मामला अश्लीलता से जुड़ा हो तो धाराएं बढ़ सकती हैं.
अगर कोई सीधे प्रधानमंत्री के खिलाफ गाली-गलौच करता है, तो केवल सेक्शन 352 ही नहीं, बल्कि सेक्शन 356 (मानहानि) और दूसरी धाराएं भी जोड़ दी जाती हैं.
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