Maharaja Ranjit Singh: महाराजा रणजीत सिंह और गुल बहार की कहानी पंजाब के इतिहास के सबसे ड्रैमेटिक और कॉन्ट्रोवर्शियल चैप्टर में से एक है. सिर्फ 18 साल की अमृतसर की एक युवा मुस्लिम डांसर और सिंगर ने महाराजा पर ऐसा जादू किया था कि वह उसके लिए सजा भुगतने को भी तैयार हो गए थे. आइए जानते हैं क्या है इस कहानी का पूरा इतिहास.

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कैसे हुई थी महाराजा से मुलाकात 

गुल बहार एक प्रोफेशनल सिंगर और डांसर थी. वह अमृतसर में एक शाही पार्टी में परफॉर्म कर रही थी जब महाराजा रणजीत सिंह ने पहली बार उसकी आवाज सुनी. इस एक मुलाकात ने महाराजा को मंत्रमुग्ध कर दिया. महाराजा उन्हें अपनी प्रेमिका के रूप में रखना रखना चाहते थे लेकिन गुल बहार ने मना कर‌ दिया. मुस्लिम परिवार से होने की वजह से गुल ने कहा कि वह सिर्फ उनकी पत्नी बन सकती है प्रेमिका नहीं. 

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कैसे बदला इतिहास 

बीबीसी की रिपोर्ट और इतिहासकार इकबाल कैसर के मुताबिक गुल बहार ने महाराजा रणजीत सिंह से कहा कि अगर वह सच में उसे चाहते हैं तो उन्हें उससे इज्जत से शादी करनी होगी. महाराजा तुरंत मान गए और शादी का प्रस्ताव लेकर उसके परिवार के पास चले गए. 

क्यों हुआ विवाद 

महाराजा रणजीत सिंह जैसे बड़े शासक के लिए सिख धर्म के बाहर शादी करना काफी मुश्किल भरा रहा. सिख धर्म के धार्मिक लोगों ने उनके फैसले का कड़ा विरोध किया और उन्हें अमृतसर के सिख तीर्थ स्थल अकाल तख्त में बुलाया गया. ऐसा कहा जाता है कि महाराजा रणजीत सिंह को प्रायश्चित के तौर पर पूरे गुरुद्वारे का फर्श धोने का आदेश दिया गया था. लेकिन इकबाल कैसर के मुताबिक महाराजा को कोड़े मारने की सजा दी गई थी. 

कैसे पूरी हुई सजा 

इस सजा में सबसे बड़ी दुविधा यह थी कि पंजाब के बादशाह को कोड़े मारने की हिम्मत कौन करेगा. इसके लिए समाधान निकाला गया कि रेशम के कोड़े बनाए जाएंगे. महाराजा रणजीत सिंह अकाल तख्त पर पेश हुए और उन्हें सजा दी गई. 

गुल बहार बनी लाहौर की रानी 

अंत में शादी का जश्न मनाया गया और गुल बहार आधिकारिक तौर पर महाराज की रानियों में से एक बनी. इस मौके पर लाहौर जश्न से भर गया और गुल बहार को इज्जत, सम्मान और प्यार मिला.

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