दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (1 दिसंबर, 2025) को कहा कि क्या प्रदूषण की वजह सिर्फ पराली जलाना है. कोर्ट ने कहा कि किसान मुश्किल से ही अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट में होते हैं इसलिए पूरी तरह उन्हें जिम्मेदार ठहरा देना आसान है. कोर्ट ने कहा कि पहले भी पराली जलाई जाती थी, तब कभी दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) इतनी खराब श्रेणी में नहीं था. कोरोना काल के दौरान भी पराली जलाई गई, लेकिन तब ऐसा नहीं देखा गया.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने निर्देश दिया है कि रिपोर्ट कोर्ट में पेश करके बताया जाए कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के दूसरे कारणों से निपटने के लिए क्या किया जा रहा है. कोर्ट लंबे समय से लंबित एमसी मेहता केस पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें एयर पॉल्यूशन और पर्यावरण से जुड़े अन्य मुद्दे शामिल हैं.
'प्रदूषण के लिए सिर्फ पराली जलाने को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते', बोले CJIएडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है. उन्होंने बताया कि पराली जलाने, वाहन, कंस्ट्रक्शन से उड़ने वाली धूल, सड़क की धूल और बायोमास जलाने से जो प्रदूषण होता है, उससे निपटने के लिए प्लान तैयार किया गया है. इस पर सीजेआई सूर्यकांत ने कहा, 'मैं पराली जलाने पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं. पूरी जिम्मेदारी इस पर डाल देना आसान है क्योंकि किसान तो मुश्किल से ही कोर्ट में होते हैं.'
'कोरोना काल में भी जली पराली, तब स्थिति ये नहीं थी', सीजेआई ने कहा सीजेआई सूर्यकांत ने यह भी कहा कि पराली बहुत पहले से जलाई जा रही है, लेकिन पहले कभी दिल्ली की हवा इतनी खराब नहीं हुई, जैसा हाल के सालों में देखा गया है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान भी पराली जलाई गई, लेकिन तब भी आसमान नीला नजर आता था और तारे दिखाई देते थे. क्यों? हमें दूसरे फैक्टर्स पर भी ध्यान देने की जरूरत है.
प्रदूषण से निपटने के लिए कोर्ट ने दिए अहम निर्देशसीजेआई ने निर्देश दिया कि प्रदूषण के लिए जिम्मेदार दूसरे फैक्टर्स से निपटने के लिए क्या किया जा रहा है, इस पर एक हफ्ते में रिपोर्ट दें. सीजेआई ने यह भी कहा कि रिपोर्ट में शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों प्लान दिए जाएं. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि इतनी बड़ी आबादी को समायोजित करने के लिए या हर घर में कई-कई गाड़ियां होंगी, ये सोचकर कोई भी शहर इस स्तर पर विकसित नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि कोर्ट को बताया जाए कि कब और कैसे प्रदूषण से निपटने के लिए उपायों को लागू किया जाएगा या ये उपाय सिर्फ पेपर पर लिखने के लिए ही हैं.
'दिल्ली प्रदूषण पर हर महीने दो बार होगी सुनवाई', बोला कोर्टचीफ जस्टिस ने कहा कि मामले को नियमित रूप से सुना जाएगा और हर महीने दो बार सुनवाई होगी. उन्होंने कहा कि प्रदूषण से निपटने के उपायों की CAQM दोबारा समीक्षा करे. यह देखा जाए कि जो कदम उठाए जा रहे हैं, उनका कितना प्रभाव पड़ा है. सीजेआई सूर्यकांत ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी.