हिंदू धर्म में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तब उसके  मृत शरीर को जलाने का कार्य किया जाता है. इस प्रक्रिया को अंतिम संस्कार और शव दाह भी कहा जाता है. इस प्रक्रिया को करने के लिए  शमशान घाट बनाए गए हैं. मृत व्यक्ति के शव को जलाने के बाद वह राख बन जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार किसी शव को जलाने के बाद उसकी राख को पवित्र नदी में प्रवाहित किया जाता है. चलिए आपको बताते हैं क्यों किया जाता है ऐसा. 


शव की राख को नदी में क्यों बहाते हैं? 


हिंदू धर्म में किसी इंसान की मृत्यु के बाद उसके मृत शरीर को जलाने की परंपरा होता है. जलाने के बाद जब शव राख में तब्दील हो जाता है. तो बची हुई रात में से अस्थियां इकट्ठी की जाती हैं जिन्हें बाद में गंगा नदी या फिर अन्य नदियों में प्रवाहित कर दिया जाता है. 


हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मृत्यु व्यक्ति के सब को चलाने के बाद उसकी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर देना चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है. और वह सीधे भगवान की शरण में पहुंच जाता है. हालांकि गंगा नदी के अलावा और भी नदियों में अस्थियां प्रवाहित की जाती है . 


क्या है साइंटिफिक कारण?


नदिया कई हजारों-लाखों वर्ग मीलों में फैली होती है. जहां से यह गुजरती है वहां की जमीन को उपजाऊ करती हैं. शव को जलाने के बाद जो राख बनती है. उसमें फास्फोरस की मात्रा काफी होती है. और फास्फोरस जमीन की फर्टिलिटी को और बेहतर बनाता है. इसलिए अगर शव की राख को नदी में प्रवाहित किया जाता है तो जमीनों को उपाजाऊ होने में मदद मिलती है. 


यह भी पढ़ें: सतह से कितनी नीचे तक है धरती, आखिर जमीन में कितनी गहराई तक कर सकते हैं खुदाई?