उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने से आए सैलाब ने बारी तबाही मचाई. बादल फटने से खीरगंगा नदी ने रौद्र रूप ले लिया और कुछ ही सेकंड में धराली गांव को मलबे के ढेर में तब्दील कर दिया. साथ ही रास्ते में पड़ने वाले घर, होटल, होमस्टे को बहा ले गई. लेकिन सवाल यह है कि आखिर इस नदी का नाम खीरगंगा क्यों पड़ा? और इसका उद्गम कहां से होता है? आइए, जानते हैं.
कहां से निकलती है खीरगंगा नदी
खीरगंगा नदी भागीरथी नदी की एक सहायक नदी है. ये उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बहती है. श्रीकंठ पर्वत शिखर से निकलने वाली खीर गंगा अपनी विनाशकारी बाढ़ के लिए जानी जाती है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इस नदी का पानी इतना स्वच्छ और शुद्ध है कि यह दूध या खीर जैसा दिखता है. यही वजह है कि इसे खीरगंगा नाम दिया गया.
क्या है पौराणिक मान्यता
हिंदू पौराणिक कथाओं में भी खीरगंगा का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने यहां तपस्या की थी. अपनी माता पार्वती ने कार्तिकेय के लिए दूध की एक धारा प्रवाहित की थी, जो खीर के समान थी. बाद में इस धारा को पानी में बदल दिया गया ताकि इसका दुरुपयोग न हो. आज भी इस नदी के पास गर्म पानी के कुंड हैं. स्थानीय मान्यता है कि इस नदी में स्नान करने से कई तरह की बीमारियों में राहत मिलती है.
खीरगंगा नदी ने कब-कब मचाई तबाही
यह नदी पहले भी कई बार अपना विनाशकारी रूप दिखा चुकी है. 19वीं सदी में खीरगंगा में आई भयानक बाढ़ ने 206 मंदिरों को ध्वस्त कर दिया था. हाल के वर्षों में भी 2013 और 2018 में इस नदी में उफान आया था, जिससे इलाके को भारी नुकसान हुआ.
तबाही से लोगों में खौफ
इस साल फिर से खीरगंगा ने अपना रौद्र रूप दिखाया और अपनी चपेट में पूरा धराली गांव को लिया. इस भयानक तबाही को देख लोगों के मन में डर का माहौल है. बता दें कि खीरगंगा नदी में आई बाढ़ की चपेट में आने से 5 लोगों की मौत हो गई. जिसमें 100 लोग लापता हैं. धराली में राहत और बचाव कार्य जोरों पर हैं. एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, और स्थानीय प्रशासन लगातार प्रभावित लोगों की मदद कर रहे हैं. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस आपदा पर दुख जताया है और हर संभव मदद का भरोसा दिया है.
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